प्रतीकात्मक चित्र
पटाखों की धमाकेदार आवाज, तेज म्यूजिक का शोर, या किसी मशीन का कानफोड़ गड़गड़ाहट— क्या आपने कभी इनसे बचकर एक शांत कमरे में कदम रखा और कानों में अचानक से ‘बीप’ या ‘टीटी’ की आवाज सुनी है? यह आवाज आपको चौंका सकती है, लेकिन इसके पीछे आपके कानों का एक बेहद दिलचस्प और जटिल विज्ञान छिपा है.
आपके कानों का कमाल
हमारे कान केवल सुनने का माध्यम नहीं हैं, बल्कि एक अद्भुत जैविक प्रणाली है. कान के अंदर कोकलिया (Cochlea) नाम का एक हिस्सा होता है, जिसमें बहुत छोटे-छोटे बाल (Hair Cells) होते हैं. ये बाल वाइब्रेशन को पकड़कर आपके दिमाग को सिग्नल भेजते हैं और आपको सुनने में मदद करते हैं.
इन बालों की खासियत यह है कि ये तीन श्रेणियों में बंटे होते हैं- तेज आवाज सुनने वाले, मीडियम आवाज सुनने वाले, धीमी आवाज सुनने वाले.
जब तेज आवाज डालती है दबाव
जब आप लगातार तेज आवाजों या शोर में रहते हैं, जैसे पटाखों की गूंज या लाउड म्यूजिक, तो तेज आवाज पकड़ने वाले बालों पर बहुत दबाव पड़ता है. यह दबाव उन्हें कमजोर या क्षतिग्रस्त कर देता है. परिणामस्वरूप, मीडियम और धीमी आवाज पकड़ने वाले बालों को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है.
जब आप अचानक शांत माहौल में आते हैं, तो ये मीडियम और धीमी आवाज वाले बाल पर्यावरण की सबसे धीमी आवाजों को भी बहुत तेज कर देते हैं. यही कारण है कि आपको शांत माहौल में भी ‘बीप’ या ‘टीटी’ की आवाज सुनाई देती है. इस स्थिति को टिनिटस (Tinnitus) कहा जाता है. अगर यह केवल थोड़े समय के लिए हो, तो घबराने की जरूरत नहीं है. डैमेज हुए हेयर सेल्स कुछ समय में खुद को ठीक कर लेते हैं, और यह ‘बीप’ बंद हो जाती है.
अपने कानों का रखे ख्याल
लेकिन अगर ये हेयर सेल्स हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो जाएं, तो यह स्थिति गंभीर हो जाती है. इसे परमानेंट टिनिटस (Permanent Tinnitus) कहते हैं. इस स्थिति में ‘बीप’ या ‘टीटी’ की आवाज हमेशा के लिए बनी रह सकती है, जिसका फिलहाल कोई निश्चित इलाज नहीं है.
अपने कानों को तेज आवाजों से बचाना बेहद जरूरी है. तेज आवाज वाले माहौल में कानों को ढकने वाले ईयरप्लग का इस्तेमाल करें और लगातार लाउड म्यूजिक सुनने से बचें.
-भारत एक्सप्रेस
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