सोम प्रदोष व्रत
Som Pradosh Vrat 2022: सोमवार को शिवजी का दिन माना जाता है. ऐसे में इस सोमवार को पड़ने वाला दिन बेहद ही खास रहने वाला है. क्योंकि इस दिन मार्गशीर्ष मास की त्रयोदशी तिथि के दिन पड़ने वाले सोम प्रदोष का व्रत रखा जाता है. माना जाता है कि इस व्रत से शिवजी प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति की दरिद्रता को दूर करते हुए उसे आरोग्यता का वर देते हैं. इस साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष का यह प्रदोष व्रत 21 नवंबर तो पड़ रहा है.
इस दिन मंदिर में जाकर शिव जी की पूजा का विशेष विधान है. ज्योतिषाचार्यों की मानें तो प्रदोष व्रत के दिन सभी देवता और तमाम तरह की दूसरी शक्तियां अपना सूक्ष्म रूप धारण करते हुए शिवलिंग में समाहित हो जाती हैं. इसलिए इस दिन शिवलिंग का दर्शन मात्र ही जातक के समस्त पापों को नष्ट करने वाला है. सोम प्रदोष व्रत की महिमा का वर्णन पुराणों में भी मिलता है.
शिव प्रदोष स्तोत्र का पाठ क्यों है खास
इस दिन शिव जी की पूजा में शिव प्रदोष स्तोत्र का पाठ करने से जातक को विशेष लाभ मिलता है. इस स्त्रोत का वर्णन स्कंद पुराण में किया गया है. पौराणिक मान्यता के अनुसार यह जातक के सभी बुरे कर्मों का नाश करने वाला और जीवन में खुशहाली लाने वाला है. इसके पाठ को करने से पहले जातक को इसकी सही विधि को जानना भी जरूरी है. सच्चे मन से किए गए इसके पाठ का विशेष फल मिलता है.
कैसे करें इसका पाठ
प्रदोष व्रत के दौरान इसका पाठ प्रात:काल या संध्याकाल में किसी भी वक्त किया जा सकता है. पाठ की शुरुआत करने से पूर्व शंकर जी को फूल, चंदन और गंगाजल अर्पित करें. माना जाता है कि पाठ करने से पहले आठ या बारह मुखी दीपक अवश्य जलाना चाहिए. शिव प्रदोष स्तोत्र का पाठ साफ मन से और शुद्ध रुप से उच्चारण करते हुए करें. इस दिन भगवान शिव की आराधना हेतु कुछ विशेष मंत्रों का जाप भी किया जाता है. प्रदोष व्रत के दिन मन्दिर में शिवलिंग पर गंगाजल, चंदन, शहद और दूध डालकर जल चढ़ाना चाहिए. इसके अलावा शंकर जी को बेलपत्र, धतुरा और ताजे फल अर्पित करें.
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