
Aaj Ka Panchang 05 May 2025: 05 मई 2025 को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी. इस दिन आश्लेषा नक्षत्र और वृद्धि योग का संयोग बनेगा. शुभ मुहूर्त की बात करें तो सोमवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:45 से दोपहर 12:36 तक रहेगा. राहुकाल सुबह 07:20 से 08:57 तक रहेगा. चंद्रमा इस दिन कर्क राशि में संचरण करेंगे.
हिंदू पंचांग, जिसे वैदिक पंचांग भी कहा जाता है, समय और काल की सटीक गणना का माध्यम है. यह पांच प्रमुख अंगों – तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण – से मिलकर बनता है. दैनिक पंचांग में हम आपको शुभ मुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय-सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य-चंद्र की स्थिति, हिंदू मास और पक्ष आदि की जानकारी प्रदान करते हैं.
05 मई 2025 को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी, जो सुबह 07:37 तक रहेगी. इस दिन आश्लेषा नक्षत्र दोपहर 14:02 तक प्रभावी रहेगा, जबकि वृद्धि योग रात 24:19 तक रहेगा. प्रथम करण बावा सुबह 07:37 तक और द्वितीय करण बालवा रात 20:07 तक रहेगा. चंद्रमा इस दिन कर्क राशि में संचरण करेंगे. सूर्योदय सुबह 05:43 बजे और सूर्यास्त शाम 18:38 बजे होगा.
राहुकाल सुबह 07:20 से 08:57 तक रहेगा, जिसमें शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं. शुभ मुहूर्त की बात करें तो अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:45 से दोपहर 12:36 तक रहेगा, जो महत्वपूर्ण कार्यों के लिए उपयुक्त है. यह पंचांग विक्रमी संवत् 2082 और शक संवत् 1947 (विश्वावसु) के अनुसार वैशाख मास में आधारित है. हिंदू पंचांग के पांच अंग – तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण – समय की सटीक गणना के लिए उपयोगी हैं. यह जानकारी शुभ कार्यों, पूजा-पाठ और अन्य गतिविधियों की योजना बनाने में सहायक होगी.
पंचांग के पांच अंग
तिथि
हिंदू काल गणना में चंद्र रेखांक के सूर्य रेखांक से 12 अंश आगे जाने का समय तिथि कहलाता है. एक माह में 30 तिथियां होती हैं, जो शुक्ल और कृष्ण पक्ष में बंटी होती हैं. शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है.
तिथियों के नाम: प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा/अमावस्या.
नक्षत्र: आकाश मंडल में तारा समूह को नक्षत्र कहते हैं. कुल 27 नक्षत्र हैं, जिनका स्वामित्व नौ ग्रहों को प्राप्त है.
नक्षत्रों के नाम: अश्विन, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती.
वार: सप्ताह के सात दिन वार कहलाते हैं, जो ग्रहों के नाम पर हैं – सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार.
योग: सूर्य और चंद्र की विशेष दूरी के आधार पर 27 योग बनते हैं.
योगों के नाम: विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र, वैधृति.
करण: प्रत्येक तिथि में दो करण होते हैं – एक पूर्वार्ध और एक उत्तरार्ध में. कुल 11 करण हैं.
करणों के नाम: बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग, किस्तुघ्न. विष्टि करण को भद्रा कहते हैं, जिसमें शुभ कार्य वर्जित हैं.
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-भारत एक्सप्रेस
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