शरद पूर्णिमा 2024.
Sharad Purnima 2024 Kheer Importance: शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, आश्विन मास की आखिरी तिथि को शरद पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था. कह जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन की कमी दूर होती है. पंचांग के अनुसार, इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी. शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर खुले आसमान में रखने की परंपरा है. कहते हैं कि इस दिन अमृत की बूंदे धरती पर गिरती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे क्यों रखते हैं, इसके पीछे की धार्मिक मान्यता और वैज्ञानिक वजह क्या है.
वैज्ञानिक कारण
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है. इस दिन अंतरिक्ष के सभी ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रमा की किरणों के माध्यम से धरती पर पड़ती है. शरद पूर्णिमा की चांदनी में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखने के पीछे वैज्ञानिक तर्क यह है कि चंद्रमा के औषधीय गुणों से युक्त किरणें पड़ने से खीर भी अमृत के समान हो जाता है. जिसका सेवन सेहत के लिए लाभकारी बताया गया है.
धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा पर चंद्र देव कलाओं से परिपूर्ण होकर धरती पर अमृत की वर्षा करते हैं. यही वजह है कि इस दिन खीर बनाकर खुले आसमान ने नीचे रखता है. इसके अलावा मान्यता यह भी है शरद पूर्णिमा की चांद को खुली आंखों से देखने पर आंख के विकार दूर होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्रमा मन का कारक है इसलिए इस दिन चांद को देखने से मन में सकारात्मक भाव आता है, परिणामस्वरूप मन प्रसन्न रहता है.
शरद पूर्णिमा का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के बाद धन की देवी मां लक्ष्मी की उत्पत्ति शरद पूर्णिमा के दिन ही हुई थी. यही वजह है इस दिन मां लक्ष्मी की उपासना की जाती है. कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं. ऐसे में जो लोग शरद पूर्णिमा की रात में मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उन्हें उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ उदित होते हैं.
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