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CJI BR Gavai

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई तीन दिनों के लिए मुंबई के दौरे पर है ऐसे में कई कार्यक्रम में वह हिस्सा भी ले रहे हैं और लोगों के साथ अपने अनुभव को भी साझा कर रहे हैं.

कार्यक्रम के दौरान सीजेआई गवई भावुक हो गए और कहा, “मेरे पिता को हमेशा विश्वास था कि मैं एक दिन सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनूंगा. आज वह सपना साकार हुआ है, लेकिन अफसोस है कि वह इसे देखने के लिए आज हमारे बीच नहीं हैं.”

सीजेआई बीआर गवई बोले- "संविधान सर्वोच्च है, संसद इसके अधीन है. लोकतंत्र के तीनों अंग संविधान के तहत कार्य करते हैं." उन्होंने बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ फैसले में आश्रय के अधिकार को सर्वोपरि बताया.

चीफ जस्टिस गवई ने न्याय और समानता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाया न्यायमूर्ति गवई ने भारत की अनूठी संवैधानिक यात्रा, विशेष रूप से गरीबी, असमानता और औपनिवेशिक विरासत के संदर्भ में, पर विचार करके अपनी स्पीच शुरू की

सीजेआई बी आर गवई ने बीजे मेडिकल कॉलेज के प्रभावितों के लिए भी अपनी चिंता व्यक्त की. सीजेआई ने कहा, "इस कठिन समय में हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उनके साथ हैं. उन्हें अपने प्रियजनों के समर्थन में शक्ति और सांत्वना मिले."

ऑक्सफोर्ड यूनियन में सीजेआई बी आर गवई ने कहा कि न्यायिक सक्रियता जरूरी है, लेकिन इसकी सीमाएं तय होनी चाहिए. उन्होंने संविधान को सामाजिक न्याय और उत्पीड़ित वर्गों के उत्थान का माध्यम बताया.

CJI जस्टिस बी.आर. गवई ने ऑक्सफोर्ड यूनियन में भारतीय संविधान को सामाजिक क्रांति का प्रतीक बताया. उन्‍होंने कहा- भारत में संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर की दूरदर्शिता और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से वंचितों को न्याय और प्रतिनिधित्व मिला.

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में तकनीक और न्याय तक पहुंच के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने डिजिटल युग में न्याय प्रणाली में हो रहे बदलावों, चुनौतियों और सुधारों पर चर्चा की.

सीजेआई ने आगे कहा, "2000 के दशक की शुरुआत में शुरू किया गया ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट अदालतों की प्रक्रिया जैसे फाइलिंग, लिस्टिंग और केस ट्रैकिंग को डिजिटल बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ.

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने लंदन के Gray's Inn में भारतीय संविधान निर्माता डॉ. बी.आर. आंबेडकर की विरासत को सम्मान दिया. भारतीय संविधान के 75 वर्ष और डॉ. आंबेडकर के योगदान पर प्रकाश डाला, सामाजिक-आर्थिक न्याय पर भी जोर दिया.