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Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रेमिका के पति को चलती ट्रेन के सामने धक्के देकर मार डालने के आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया है.

वकीलों की हड़ताल के चलते कोर्ट ने फैसले को टाल दिया है. दिल्ली पुलिस ने मामले को बंद करने का अनुरोध अदालत से किया है.

कोर्ट ने सरकार से कहा है कि प्रभावित लोगों के पुनर्वास के बारे में एक माह में बताए. कोर्ट 11 सितंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.

पीठ ने कहा कि यह महिला सरकारी कर्मचारी को तीसरे और उसके बाद के मातृत्व अवकाश के लिए प्रोत्साहित करने का सवाल नहीं है.

स्कूल ने बढ़े हुए फीस जमा न करने की वजह से लगभग 26 बच्चों का नाम काट दिया था. अभिभावकों ने उसे हाईकोर्ट में चुनौती दिया था.

चेक बाउंस में बहुत कम केस ऐसे होते है जिनमे अभियुक्त बरी किये जाते है. लेकिन एक मामले में 18 साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद फैसला आया है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार का काम है यातायात को नियंत्रित करना न कि बॉर्डर को बंद करना. सरकार का काम है लोगों को स्वास्थ्य और भोजन की सुविधा मुहैया कराना.

कोर्ट ने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) यह स्पष्ट रूप से बताती है कि गुमशुदा बच्चों के मामलों में तुरंत और तत्परता से कार्रवाई की जानी चाहिए.

शंभू बॉर्डर के व्यापारियों ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का रुख किया था. उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बॉर्डर को खोलने की मांग की थी.

अदालत ने कहा कि संपत्ति की खरीद से संबंधित लेनदेन नकद और बैंकिंग चैनलों दोनों में हुए थे, जिनकी कुल राशि लगभग 36 करोड़ रुपये थी.