सुप्रीम कोर्ट (फोटो- सोशल मीडिया)
पांच महीनों से बंद शंभू बॉर्डर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि किसान भी इसी देश के नागरिक है. कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप राष्ट्रीय राजमार्ग को कैसे बंद कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार का काम है यातायात को नियंत्रित करना न कि बॉर्डर को बंद करना. सरकार का काम है लोगों को स्वास्थ्य और भोजन की सुविधा मुहैया कराना. किसान भी इसी देश के नागरिक है वो आएंगे नारे लगाएंगे और चले जायेंगे.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइया की पीठ ने हरियाणा सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है. जस्टिस सूर्यकांत ने वकील से पूछा कि मुझे लगता है कि आप सड़क मार्ग से यात्रा नही करते हैं. जिसपर वकील ने हा में जवाब दिया. फिर जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि तो आपको परेशानी हो रही होगी. जबकि जस्टिस भुइयां ने कहा कि राज्य राजमार्ग को कैसे अवरुद्ध कर सकता है?
दरअसल हरियाणा सरकार ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखा है. बता दें कि हरियाणा सरकार को डर है कि अगर बॉर्डर खोला गया तो पंजाब के किसान फिर दिल्ली के तरफ कूच कर सकते है. अगर ऐसा हुआ तो हरियाणा सरकार के लिए कानून व्यवस्था की स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाएगा और शंभु बॉर्डर पर फिर से बैरिकेडिंग करनी पड़ सकती है.
हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा का चुनाव होने वाला है। किसान पांच माह पहले दिल्ली कूच का एलान किया था. तबशंभू बॉर्डर को बंद करना पड़ा था. बॉर्डर के बंद होने से आम नागरिक और व्यापारियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
शंभू बॉर्डर खोलने की मांग को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसपर सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने शंभू बॉर्डर को एक हफ्ते में खोलने का आदेश दिया था. जिसके खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुची थी. गौरतलब है कि किसान एमएसपी सहित अन्य मांगों को लेकर लगातार पर्दर्शन करते रहते है. इसी किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन कर रहे एक 22 वर्षीय युवक की मौत हो गई थी. जिसकी न्यायिक जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाइकोर्ट सुनवाई कर रहा है.
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-भारत एक्सप्रेस
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