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Delhi High Court

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने इसके साथ ही इससे संबंधित याचिका को निपटा दिया.

दोषी ने उसे दो अलग-अलग मामलों में दी गई सजा को लगातार चलाने के बजाय एक साथ चलाने की मांग की थी।

एक फैमिली कोर्ट ने पत्नी को भरण-पोषण के रूप में 75,000 रुपये मासिक का भुगतान करने का आदेश उसके आर्किटेक्ट पति को दिया था. पति ने इस आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

कोर्ट ने कहा कि अन्य कारकों में अपराध की गंभीरता, अपराध की प्रकृति, दोषी का आपराधिक इतिहास, न्यायालय में जनता के विश्वास पर प्रभाव आदि शामिल हैं।

श्रेयंसी ठाकुर नामक 17 वर्षीय छात्रा द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि एनटीए का अनुग्रह अंक देने का निर्णय मनमाना है और इससे हजारों छात्र प्रभावित हो रहे हैं।

एक याचिका में हाईकोर्ट से अनुरोध किया था कि वह दिल्ली पुलिस को वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ होने वाले अपराधों का आंकड़ा अलग से बनाने का निर्देश दे.

एक याचिका में दावा किया गया था कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) तांगों को चरणबद्ध तरीके से हटाने और उनके मालिकों के पुनर्वास के अपने प्रस्ताव को लागू करने में विफल रहा है.

आम आदमी पार्टी की ओर से पेश वकील राहुल मेहरा ने कहा था कि जब तक कि कार्यालय निर्माण के लिए पार्टी को जमीन का आवंटन नहीं किया जाता है तब तक राष्ट्रीय पार्टी अस्थायी कार्यालय पाने की हकदार है.

विश्वविद्यालय ने तर्क दिया था कि अगर छात्र पहले सत्र में निर्धारित उपस्थिति मानदंड को पूरा नहीं करते हैं, तो उन्हें अपनी अनुपस्थिति के कारणों की परवाह किए बिना नए सिरे से प्रवेश लेना होगा.

दिल्ली हाईकोर्ट ने विद्या भवन गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल की शिक्षक को बर्खास्तगी के दौरान का वेतन देने का निर्देश देते हुए यह टिप्पणी की.