आखिर क्यों सृष्टि के रचयिता ब्रह्मदेव की पूजा नहीं होती है? यहां जानिए इसकी वजह
History Of The International Booker Prize: साहित्यिक जगत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक ‘बुकर प्राइज’ हाल ही में अपने ऑरजिनल स्पॉन्सर बुकर ग्रुप का अतीत ‘स्लेवरी’ (गुलामी) से जुड़ा होने के कारण आलोचनाओं के घेरे में आ गया है.
पिछले हफ्ते, बीबीसी रेडियो के होस्ट रिची ब्रेव ने X.com पर बुकर वेबसाइट के एक पेज के बारे में पोस्ट किया था, जिसमें कहा गया था कि “1800 के दशक की शुरुआत में, बुकर कंपनी के संस्थापक भाइयों जॉर्ज और जोसियस बुकर ने लगभग 200 गुलामों को मैनेज किया था.”
उन्होंने लिखा, “हाय @TheBookerPrizes, मैं आपकी पारदर्शिता की सचमुच सराहना करता हूं. वेबसाइट पर जिन गुलाम अफ़्रीकी लोगों का उल्लेख किया गया है…मैं उन्हीं परिवारों में से हूं. जोसियस और जॉर्ज ने मेरे परिवार को ‘मैनेज’ नहीं किया, बल्कि उन्होंने उन्हें गुलाम बनाया,” तब से वेबसाइट ने ‘मैनेज’ शब्द को “एनस्लेव्ड” में बदल दिया है (हिंदी मीनिंग- गुलाम), जिसका तात्पर्य होता है— दास बनाए गए लोग
बुकर पुरस्कार 1969 में शुरू किया गया था, शुरुआत में यह केवल राष्ट्रमंडल देशों के लेखकों के लिए था, लेकिन बाद में इसे विश्व स्तर पर भी दिया जाने लगा. प्रत्येक वर्ष, यह पुरस्कार अंग्रेजी भाषा में कथा साहित्य की एक कृति को प्रदान किया जाता है. 2004 में, अनुवादित कार्यों के लिए एक अलग अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की स्थापना की गई थी.
इस पुरस्कार की सह-स्थापना पब्लिशर टॉम माश्लर और ग्राहम सी ग्रीन द्वारा की गई थी, और 1969 से 2001 तक, इसे ब्रिटिश थोक खाद्य कंपनी, जिसे बुकर ग्रुप लिमिटेड कहा जाता था, द्वारा स्पॉन्सर किया गया और नाम दिया गया था. (वो कंपनी 1835 में एक शिपिंग और ट्रेडिंग कंपनी के रूप में स्थापित की गई थी, और अब टेस्को के स्वामित्व में है). उसके बाद 2002 में, इस पुरस्कार का स्पॉन्सर ब्रिटिश इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट फर्म मैन ग्रुप बन गया, और इस प्रकार इसे “द मैन बुकर प्राइज” के रूप में जाना जाने लगा. 2019 में मैन ग्रुप द्वारा स्पॉन्सरशिप समाप्त करने के बाद इसे अमेरिकी चैरिटी क्रैंकस्टार्ट स्पॉन्सर करने लगी और पुरस्कार का नाम वापस इसके मूल ‘बुकर प्राइज’ में बदल दिया.
1815 में, वियना की कांग्रेस ने साउथ अमेरिका के उत्तरपूर्वी तट को तीन यूरोपीय शक्तियों के बीच विभाजित किया था. डचों को आधुनिक सूरीनाम मिला, फ्रांस को फ्रेंच गुयाना (जो अभी भी एक फ्रांसीसी ओवरसीज एरिया है) मिला, और ब्रिटेन को वह मिला जो अब गुयाना के नाम से जाना जाता है. बुकर बंधुओं जैसे बहुत-से उद्यमशील यूरोपीय व्यापारी धन कमाने के लिए इन उपनिवेशों की ओर गए थे.
ब्रिटिश गुयाना की अर्थव्यवस्था काफी हद तक चीनी और (कुछ हद तक) कपास उद्योगों से संचालित होती थी, जिसमें अफ्रीकी दास वृक्षारोपण में आवश्यक श्रम प्रदान करते थे. बुकर बंधु इस शोषणकारी दास-आधारित अर्थव्यवस्था का हिस्सा थे. बुकर की वेबसाइट के अनुसार, जोसियस ने उत्तरी गुयाना में एक कपास बागान का प्रबंधन किया जहां उसने “लगभग 200 लोगों को गुलाम बनाया”. फिर अपने भाइयों के साथ वह कई चीनी बागानों का मालिक बन गया, जिनका संचालन भी दासों द्वारा किया जाता था.
जब वर्ष 1834 में गुयाना में दासता समाप्त कर दी गई, तो 52 मुक्त दासों के लिए बुकर बंधुओं को स्टेट से मुआवजा मिला. बुकर वेबसाइट के अनुसार, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में लेगेसीज़ ऑफ़ स्लेव ओनरशिप डेटाबेस में 2,884 पाउंड की राशि दर्ज की गई, जो 2020 में 378,000 पाउंड के बराबर हो गई. यह राशि भारतीय मुद्रा में 3,95,56,725 रुपये होती है.
इस पुरस्कार के विजेता के लिए चयन प्रक्रिया पांच जजों के एक पैनल की नियुक्ति के साथ शुरू होती है, जो हर साल बदलता है. बुकर प्राइज़ फाउंडेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव गैबी वुड, यूके पब्लिशर इंडस्ट्री के सीनियर मेंबर्स से बनी एक एडवाइजर कमेटी के परामर्श से जजों का चयन करते हैं. विशेष अवसरों पर किसी जज को दूसरी बार चुना जा सकता है. जज का चयन प्रमुख साहित्यिक आलोचकों, लेखकों, शिक्षाविदों और प्रमुख सार्वजनिक हस्तियों में से किया जाता है. इस पुरस्कार के विजेता की घोषणा कुछ साल पहले तक लंदन के गिल्डहॉल में एक औपचारिक, ब्लैक-टाई डिनर में अक्टूबर के महीने में की जाती थी. हालाँकि, 2020 में फैली कोरोना महामारी के कारण नवंबर के महीने में विनर सेरेमनी बीबीसी की पार्टनरशिप में राउंडहाउस से होस्ट की गई.
अब तक कई भारतीय उपन्यासकारों को बुकर प्राइज अवार्ड सेरेमनी में प्रमुखता से शामिल होने का अवसर मिला है. ऐसे कई उपन्यासकार हैं, जिन्हें शॉर्टलिस्ट किया गया था या जिन्होंने अलग-अलग वर्षों में बुकर पुरस्कार जीता.
– भारत एक्सप्रेस
………….
महिलाओं के खिलाफ घिनौने कृत्य अनंत काल से होते आ रहे हैं और ये आज…
पीठ चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल द्वारा दायर जनहित याचिका पर विचार कर रहा है,…
गुयाना से भारत लौटने के बाद पीएम मोदी सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक पोस्ट…
देश के विभिन्न राज्यों में तैयार किए गए गिफ्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं…
एक बेघर व्यक्ति को मारने के बदले में भीड़ ने तय किया कि हाथिनी मैरी…
दिल्ली में Aam Aadmi Party की सरकार शासन और नौकरशाही पर नियंत्रण से जुड़े कई…