बुकर पुरस्कार पहली बार 1969 में प्रदान किया गया था. तस्वीर- 2024 के अवार्ड के जज और ट्रॉफी
History Of The International Booker Prize: साहित्यिक जगत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक ‘बुकर प्राइज’ हाल ही में अपने ऑरजिनल स्पॉन्सर बुकर ग्रुप का अतीत ‘स्लेवरी’ (गुलामी) से जुड़ा होने के कारण आलोचनाओं के घेरे में आ गया है.
पिछले हफ्ते, बीबीसी रेडियो के होस्ट रिची ब्रेव ने X.com पर बुकर वेबसाइट के एक पेज के बारे में पोस्ट किया था, जिसमें कहा गया था कि “1800 के दशक की शुरुआत में, बुकर कंपनी के संस्थापक भाइयों जॉर्ज और जोसियस बुकर ने लगभग 200 गुलामों को मैनेज किया था.”
Thank you @TheBookerPrizes for editing the site and clearly and accurately stating that the Booker brothers were enslavers. https://t.co/LbkG2AXmcB
— Richie Brave 🇬🇾🇬🇾 (@RichieBrave) April 24, 2024
उन्होंने लिखा, “हाय @TheBookerPrizes, मैं आपकी पारदर्शिता की सचमुच सराहना करता हूं. वेबसाइट पर जिन गुलाम अफ़्रीकी लोगों का उल्लेख किया गया है…मैं उन्हीं परिवारों में से हूं. जोसियस और जॉर्ज ने मेरे परिवार को ‘मैनेज’ नहीं किया, बल्कि उन्होंने उन्हें गुलाम बनाया,” तब से वेबसाइट ने ‘मैनेज’ शब्द को “एनस्लेव्ड” में बदल दिया है (हिंदी मीनिंग- गुलाम), जिसका तात्पर्य होता है— दास बनाए गए लोग
अब यहां समझते हैं कि बुकर प्राइज होता क्या है, ये कैसे शुरू हुआ?
बुकर पुरस्कार 1969 में शुरू किया गया था, शुरुआत में यह केवल राष्ट्रमंडल देशों के लेखकों के लिए था, लेकिन बाद में इसे विश्व स्तर पर भी दिया जाने लगा. प्रत्येक वर्ष, यह पुरस्कार अंग्रेजी भाषा में कथा साहित्य की एक कृति को प्रदान किया जाता है. 2004 में, अनुवादित कार्यों के लिए एक अलग अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की स्थापना की गई थी.
इस पुरस्कार की सह-स्थापना पब्लिशर टॉम माश्लर और ग्राहम सी ग्रीन द्वारा की गई थी, और 1969 से 2001 तक, इसे ब्रिटिश थोक खाद्य कंपनी, जिसे बुकर ग्रुप लिमिटेड कहा जाता था, द्वारा स्पॉन्सर किया गया और नाम दिया गया था. (वो कंपनी 1835 में एक शिपिंग और ट्रेडिंग कंपनी के रूप में स्थापित की गई थी, और अब टेस्को के स्वामित्व में है). उसके बाद 2002 में, इस पुरस्कार का स्पॉन्सर ब्रिटिश इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट फर्म मैन ग्रुप बन गया, और इस प्रकार इसे “द मैन बुकर प्राइज” के रूप में जाना जाने लगा. 2019 में मैन ग्रुप द्वारा स्पॉन्सरशिप समाप्त करने के बाद इसे अमेरिकी चैरिटी क्रैंकस्टार्ट स्पॉन्सर करने लगी और पुरस्कार का नाम वापस इसके मूल ‘बुकर प्राइज’ में बदल दिया.
बुकर का गुलामी और गिरमिटिया मज़दूरी से क्या संबंध है?
1815 में, वियना की कांग्रेस ने साउथ अमेरिका के उत्तरपूर्वी तट को तीन यूरोपीय शक्तियों के बीच विभाजित किया था. डचों को आधुनिक सूरीनाम मिला, फ्रांस को फ्रेंच गुयाना (जो अभी भी एक फ्रांसीसी ओवरसीज एरिया है) मिला, और ब्रिटेन को वह मिला जो अब गुयाना के नाम से जाना जाता है. बुकर बंधुओं जैसे बहुत-से उद्यमशील यूरोपीय व्यापारी धन कमाने के लिए इन उपनिवेशों की ओर गए थे.
ब्रिटिश गुयाना की अर्थव्यवस्था काफी हद तक चीनी और (कुछ हद तक) कपास उद्योगों से संचालित होती थी, जिसमें अफ्रीकी दास वृक्षारोपण में आवश्यक श्रम प्रदान करते थे. बुकर बंधु इस शोषणकारी दास-आधारित अर्थव्यवस्था का हिस्सा थे. बुकर की वेबसाइट के अनुसार, जोसियस ने उत्तरी गुयाना में एक कपास बागान का प्रबंधन किया जहां उसने “लगभग 200 लोगों को गुलाम बनाया”. फिर अपने भाइयों के साथ वह कई चीनी बागानों का मालिक बन गया, जिनका संचालन भी दासों द्वारा किया जाता था.
जब वर्ष 1834 में गुयाना में दासता समाप्त कर दी गई, तो 52 मुक्त दासों के लिए बुकर बंधुओं को स्टेट से मुआवजा मिला. बुकर वेबसाइट के अनुसार, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में लेगेसीज़ ऑफ़ स्लेव ओनरशिप डेटाबेस में 2,884 पाउंड की राशि दर्ज की गई, जो 2020 में 378,000 पाउंड के बराबर हो गई. यह राशि भारतीय मुद्रा में 3,95,56,725 रुपये होती है.
The International Booker Prize
- यह अंग्रेजी में उत्कृष्ट आलेखों-विस्तृत उपन्यास के लिए प्रतिवर्ष दिया जाने वाला ब्रिटिश लिटरेचरी अवार्ड है.
- जिन्हें इस अवार्ड से पुरस्कृत किया जाता है, उनको 50 हजार पाउंड यानी 52,31,729 रुपये मिलते हैं.
- 1969 में बुकर कंपनी तथा मैककोनेल लिमिटेड द्वारा इसकी शुरूआत की गई, संस्थापकों में जॉक कैंपबेल, चार्ल्स टायरेल और टॉम माश्लर थे
किस तरह चुने जाते हैं जज और अवार्ड विनर?
इस पुरस्कार के विजेता के लिए चयन प्रक्रिया पांच जजों के एक पैनल की नियुक्ति के साथ शुरू होती है, जो हर साल बदलता है. बुकर प्राइज़ फाउंडेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव गैबी वुड, यूके पब्लिशर इंडस्ट्री के सीनियर मेंबर्स से बनी एक एडवाइजर कमेटी के परामर्श से जजों का चयन करते हैं. विशेष अवसरों पर किसी जज को दूसरी बार चुना जा सकता है. जज का चयन प्रमुख साहित्यिक आलोचकों, लेखकों, शिक्षाविदों और प्रमुख सार्वजनिक हस्तियों में से किया जाता है. इस पुरस्कार के विजेता की घोषणा कुछ साल पहले तक लंदन के गिल्डहॉल में एक औपचारिक, ब्लैक-टाई डिनर में अक्टूबर के महीने में की जाती थी. हालाँकि, 2020 में फैली कोरोना महामारी के कारण नवंबर के महीने में विनर सेरेमनी बीबीसी की पार्टनरशिप में राउंडहाउस से होस्ट की गई.
अब तक कई भारतीयों को मिल चुका यह पुरस्कार
अब तक कई भारतीय उपन्यासकारों को बुकर प्राइज अवार्ड सेरेमनी में प्रमुखता से शामिल होने का अवसर मिला है. ऐसे कई उपन्यासकार हैं, जिन्हें शॉर्टलिस्ट किया गया था या जिन्होंने अलग-अलग वर्षों में बुकर पुरस्कार जीता.
- रोहिंटन मिस्त्री: यह एक इंडो-कनाडाई उपन्यासकार हैं, जिन्होंने तीन उपन्यास लिखे और उन्हें तीन बार बुकर पुरस्कार के लिए चुना गया.
- किरन देसाई: इस भारतीय उपन्यासकार को 2006 में उनके उपन्यास The Inheritance of Loss के लिए पुरस्कार दिया गया.
- अरुंधति रॉय: इन्हें वर्ष 1997 में ‘गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स’ नॉवेल के लिए यह पुरस्कार मिला.
- इंद्रा सिन्हा: एक ब्रिटिश-भारतीय लेखिका, जो 2007 में भोपाल गैस त्रासदी पर अपने उपन्यास – ‘एनिमल्स पीपल’ के लिए फाइनलिस्ट हुई थीं.
- अमिताभ घोष: बंगाली लेखक जिन्हें छठे उपन्यास, ‘सी ऑफ पॉपीज़’ के लिए वर्ष 2008 में शॉर्टलिस्ट किया गया था, उस साल दो भारतीयों ने एक साथ बुकर शॉर्टलिस्ट में जगह बनाई. दूसरे थे अरविंद अडिगा.
- अरविंद अडिगा: चेन्नई में जन्मे एक भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई लेखक और पत्रकार. उनके पहले उपन्यास, द व्हाइट टाइगर ने 2008 मैन बुकर पुरस्कार जीता.
- जीत थायिल: कई प्रतिभाओं के धनी उपन्यासकार, जो कवि और संगीतकार भी हैं. 2012 में मैन बुकर पुरस्कार के लिए चुने गए, उनकी पहली कृति- ‘नारकोपोलिस’ सेलेक्ट हुई.
- गीतांजलि श्री: इस भारतीय उपन्यासकार को 2022 में Tomb of Sand नोवेल के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज मिला. जिसे Daisy Rockwell ने ट्रांसलेट किया.
– भारत एक्सप्रेस
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कंटेंट सोर्स—
https://thebookerprizes.com/the-booker-library
https://thebookerprizes.com/the-booker-library/prize-years/2024
https://thebookerprizes.com/the-booker-brothers-and-enslavement
https://en.wikipedia.org/wiki/Booker_Prize
https://www.britannica.com/art/Booker-Prize
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