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गोरखपुर संप्रेक्षण गृह में 71 बाल अपचारियों की दुर्दशा पर हाईकोर्ट सख्त, स्वतः संज्ञान लेकर मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर के राजकीय संप्रेक्षण गृह में बाल अपचारियों की अमानवीय स्थिति पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने महिला एवं बाल कल्याण विभाग को विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया है.

Delhi High Court

दिल्ली हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजकीय सम्प्रेक्षण गृह गोरखपुर में बाल अपचारियों की दुर्दशा के मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता की पीठ ने की. कोर्ट सचिव महिला एवं बाल कल्याण और महानिदेशक बाल कल्याण विभाग को इस मामले में जानकारी देने का निर्देश दिया है. मामले की सुनवाई चार जुलाई को होगी.

उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने चीफ जस्टिस को पत्र लिख कर इस मामले से अवगत कराया था. इसके बाद चीफ जस्टिस के आदेश से राजकीय संप्रेक्षण गृह गोरखपुर में अमानवीय ढंग से रखे गए 71 बाल अपचारियों की दुर्दशा को लेकर जनहित याचिका कायम की गई है. इस जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई.

जस्टिस शेखर कुमार यादव ने एक दैनिक समाचार पत्र में देवरिया से छपी खबर को लेकर स्वत: संज्ञान लेकर रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर इस मामले को जनहित याचिका मानते हुए चीफ जस्टिस के समक्ष प्रस्तुत करने का अनुरोध किया था. जस्टिस यादव के पत्र पर चीफ जस्टिस ने इस मामले को जनहित याचिका कायम कर दो जजों की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए 23 मई को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.

मामले के अनुसार राजकीय संप्रेक्षण गृह गोरखपुर में पाठशाला के आटे में कीड़ा होने का आरोप लगा है. यह भी बताया गया है कि 100 बालकों की क्षमता वाले संप्रेक्षण गृह में गोरखपुर मंडल के जिलों के 257 बालक रह रहे हैं. इस अव्यवस्था का खुलासा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देवरिया के सचिव व अपर जिला जज के निरीक्षण में हुआ है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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