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फुट ओवर ब्रिज के अभाव में अगर रेल ट्रैक पर दुर्घटना हुई तो देना होगा मुआवजा- कोर्ट

Ranchi: सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मृतिका वास्तविक यात्री थी, जिसकी अप्रिय घटना के कारण मौत हो गयी.

झारखंड हाईकोर्ट (फोटो विकिपीडिया)

Jharkhand: झारखंड हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि फुट ओवरब्रिज और लाइट के अभाव में रेलवे ट्रैक पार करने के दौरान जान गंवाने वाली महिला के परिवार को आठ लाख का मुआवजा दिया जाये. दरअसल रेलवे न्यायाधिकरण ने मृतिका के परिजनों को मुआवजा देने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद मृतिका के परिजनों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. रेलवे ट्रिब्यूनल ने यह कहते हुए मुआवजा देने से इनकार किया था कि मृतिक की मृत्यु रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 123 के तहत परिभाषित “अप्रिय घटना” में नहीं हुई थी. जिसपर प्रार्थी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यात्रियों को एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए रेलवे स्टेशन के पास कोई फुट ओवरब्रिज नहीं बनाया गया और न ही लाइट की व्यवस्था थी.

ट्रैक पार करने के दौरान हादसे का शिकार हुई थी महिला

यह घटना तब हुई, जब मृतिका अपनी यात्रा खत्म करने के बाद ट्रेन से उतरकर अंधेरे में अपने घर जाने के लिए ट्रैक पार कर रही थी. इसी दौरान वह दूसरी ट्रेन की चपेट में आ गयी और उसकी मौत हो गयी. अदालत ने पाया कि जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण रेलवे दुर्घटना थी. इसके बाद सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मृतिका वास्तविक यात्री थी, जिसकी अप्रिय घटना के कारण मौत हो गयी.

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अपीलकर्ता मृतिका के आश्रित होने के कारण रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 124 (ए) के तहत आवेदन दाखिल करने की तारीख (13 मार्च 2018) से मुआवजा राशि प्राप्त होने की तारीख तक 6% ब्याज के साथ आठ लाख (8,000,00/-) की राशि के मुआवजे के हकदार हैं. हाईकोर्ट में इस संबंध में सुरेश राम ने याचिका दाखिल की थी. उनकी पत्नी की रेलवे ट्रैक पार करने के दौरान वर्ष 2018 में मृत्यु हो गयी थी.

– भारत एक्सप्रेस



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