Electoral Bond Scheme: इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देने के सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसले में कोई गलती नजर नहीं आती है. इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है. यह पुनर्विचार याचिका मैथ्यूज नेदुम्पारा और अन्य की ओर से दायर की गई थी.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में इसे असंवैधानिक करार दिया था. संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे. अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेदुमपारा द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका में कहा गया था कि संविधान पीठ यह मानते हुए भी कि यह मुद्दा न्यायसंगत है, फिर भी इस पर ध्यान देने में असफल रही.
याचिकाकर्ताओं ने किसी भी विशेष नुकसान का कोई दावा नहीं किया. ऐसे में उनकी याचिका पर फैसला नहीं लिया जाना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए तत्काल प्रभाव से इसपर रोक लगा दिया था. कोर्ट ने कहा था कि यह स्कीम RTI का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता पर सवाल उठाते हुए कुल चार याचिकाएं दाखिल की गई थी.
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यह याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की ओर से दायर की गई थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये गुपचुप फंडिंग में पारदर्शिता को प्रभावित करती है. यह सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है. उनका कहना था कि इसमें शेल कम्पनियों की तरफ से भी दान देने की अनुमति दी गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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