सीजेआई संजीव खन्ना. (फाइल फोटो)
मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) के दौरान सम्पत्तियों को हुए नुकसान और लोगों के पलायन पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है. कोर्ट ने मणिपुर सरकार से रिपोर्ट मांगा है. सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने सम्पत्तियों के नुकसान, लोगों के पलायन और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संबंधित रिपोर्ट मांगा है. कोर्ट जनवरी में इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.
सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दें
पिछले 6 महीने से मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के दौरान काफी सम्पत्तियों को नुकसान हुआ था. मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट देने को कहा है. एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि राज्य की पहली प्राथमिकता हिंसा को रोकना और हथियार और गोला बारूद बरामद करना है. एसजी ने कोर्ट से वादा किया कि सरकार अपनी जवाबदेही पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.
वहीं राज्य में पुनर्वास की निगरानी के लिए गठित पैनल ने कहा कि मणिपुर में हिंसा के चलते पुनर्वास के प्रयास बाधित हो रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हिंसाग्रस्त राज्य में किस तरह की चुनौतीपूर्ण स्थितियां है. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि राज्य में हिंसा अभी तक थमी नहीं है और हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.
बरामद हथियार की जानकारी लें
याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी कहा कि राज्य से बरामद किए गए हथियारों की कुल मात्रा की जानकारी मांगनी चाहिए. इस पर एसजी ने कहा कि राज्य सरकार जानकारी देने को तैयार है, लेकिन उन्होंने अदालत से इस तथ्य को ऑर्डर में दर्ज नहीं करने का आग्रह किया.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल में जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश गीता मित्तल, न्यायधीश शालिनी पी जोशी, जो बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश है और दिल्ली हाई कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश आशा मेनन शामिल थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में पीड़ितों को राहत और पुनर्वास तथा मुआवजे की निगरानी के लिए तीन पूर्व महिला हाई कोर्ट जजों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था.
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-भारत एक्सप्रेस
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