सुप्रीम कोर्ट
मॉब लिंचिंग को लेकर दायर नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमेन की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह मामला सुनवाई के लिए कल सूचिबद्ध किया गया था, लेकिन समय के आभाव के चलते सुनवाई नहीं हो सकी. अब टेंटेटिव तारीख फरवरी दिखा रहा है, लिहाजा याचिका पर जल्द सुनवाई कर ली जाए.
फरवरी में इस मामले को पहले सुना जाएगा
जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि जनवरी में हमारे पास बहुत सारे मामले है. लिहाजा फरवरी में इस मामले को पहले सुना जाएगा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग और भीड़ द्वारा हिंसा, खास तौर पर गौरक्षकों द्वारा की जाने वाली हिंसा हुई वृद्धि को लेकर चिंता जाहिर जताई थी.
साथ ही कोर्ट ने पांच राज्यों असम, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र और बिहार को चेतावनी जारी करते हुएजवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा था. कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर राज्य सरकारें जवाबी हलफनामा दाखिल नही करती है तो संबंधित राज्य के मुख्य सचिव खुद कोर्ट में उपस्थित होंगे और कारण बताएंगे कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न कि जाए.
2023 में दाखिल की थी याचिका
NFIW ने 2023 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसपर कोर्ट सुनवाई कर रहा है. याचिका में अनुरोध किया गया है कि राज्यों को कथित गोरक्षको द्वारा मुसलमानों के खिलाफ भीड़ हिंसा की घटनाओं से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट के 2018 में जारी दिशा निर्देशों के अनुरूप तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश देने की मांग की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में तहसीन पूनावाला मामले में उन्मादी भीड़ की हिंसा से प्रभावी ढंग से निपटने के बारे में विस्तृत दिशा निर्देश जारी किया था. NFIW की ओर से दायर याचिका उसी फैसले को आधार बनाते हुए राज्य सरकारों और उनके तंत्रों पर उस आदेश को प्रभावी ढंग से न लागू किए जाने का आरोप लगाते हुए दायर की गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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