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Milk Price Hike: महंगाई ने बिगाड़ा रसोई का बजट! 14 महीने में दोगुनी से ज्यादा बढ़े दूध के दाम

Milk Price Hike: इस हफ्ते खुदरा महंगाई दर और होलसेल महंगाई दर के आंकड़े आए हैं. जिसके मुताबिक महंगाई दर में कमी आई है.

Milk Rate Hike

सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया

Milk Price Hike: देश में महंगाई इस कदर बढ़ रही है कि आम जानता की रसोई पर इसका सीधा असर देखने को मिल रहा है. इसी कड़ी में खुदरा महंगाई दर और थोक महंगाई दर के आंकड़े सामने आए हैं. जिसमें महंगाई दर में कमी आई है. इसलिए खाद्य मुद्रास्फीति की दर भी कम हुई है. लेकिन सबसे ज्यादा चिंता की बात दूध की महंगाई है जो महीने दर महीने बढ़ती ही जा रही है. पिछले एक साल में दूध की कीमतों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और खुदरा-थोक महंगाई के आंकड़े भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं.

14 महीनों में दूध की महंगाई दर 136% बढ़ी

फरवरी 2023 के खुदरा महंगाई के आंकड़ों के मुताबिक दूध और उससे जुड़े उत्पादों की महंगाई दर 10 फीसदी से 9.65 फीसदी पर पहुंच गई है, जो जनवरी 2023 में 8.79 फीसदी थी. दूध और इससे जुड़े उत्पादों की खुदरा महंगाई दर 4.09 फीसदी रही. यानी 14 महीने में दूध की महंगाई दर में 136 फीसदी का उछाल आया है. फरवरी 2023 के थोक मूल्य आधारित महंगाई के आंकड़ों के मुताबिक दूध और इससे बने उत्पादों की महंगाई दर बढ़कर 10.33 फीसदी हो गई है, जबकि जनवरी में यह 8.96 फीसदी थी.

क्यों बढ़ रहे हैं दूध के दाम 

दूध की कीमतों में यह इजाफा दूध की बढ़ती मांग, लागत में बढ़ोतरी और परिवहन लागत में बढ़ोतरी के कारण आया है. देश में पशुओं के लिए चारे की कमी है. मांग में बढ़ोतरी और सीमित आपूर्ति के कारण कीमतें बढ़ी हैं. गेहूं और मक्का पशुओं के चारे के मुख्य स्रोत हैं. मक्के का इस्तेमाल एथेनॉल बनाने में किया जा रहा है. जिससे आपूर्ति कम होने से इन चीजों के दाम बढ़ गए हैं. दूध के दाम बढ़ने का सिलसिला यहीं थमने वाला है. दूध के दाम बढ़ने का सिलसिला जारी रह सकता है. महंगे दूध का असर सिर्फ दूध की महंगाई तक ही सीमित नहीं है. दूध के दाम बढ़ने से घी, पनीर, खोआ और दही लस्सी महंगी हो गई है. मिठाई से लेकर बिस्किट तक चॉकलेट भी महंगी हो गई है.

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लोगों ने दूध का सेवन किया कम 

महंगे दूध ने आम लोगों के किचन के बजट पर असर डाला है. पिछले महीने लोकल सर्कल्स के सर्वे में पता चला है कि हर 10 परिवारों में 4 ऐसे परिवार हैं, जिन्होंने दूध की खपत कम कर दी है. तो कुछ सस्ते विकल्प पर आए हैं. कुछ लोगों ने दूध या दुग्ध उत्पाद खरीदना बंद कर दिया है.



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