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“जिस व्यक्ति में साहस होता है वह सत्य कहीं से भी खोज कर ले आ सकता है.”- प्रयागराज में ब्यूरो ऑफिस के उद्घाटन के मौके पर बोले जस्टिस गौतम चौधरी

जस्टिस गौतम चौधरी ने कहा, “आज तो इतनी ज्यादा जरूरत है कि सत्य यहां से चलता है और यहां से बाहर निकलकर अखबार के दफ्तर पहुंचते-पहुंचते सत्य की असत्यता में कितना परिवर्तन हो जाता है, इसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते हैं.”

justice gautam chaudhary

जस्टिस गौतम चौधरी

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में ‘भारत एक्सप्रेस’ न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, एमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय की मौजूदगी में ब्यूरो ऑफिस का उद्घाटन हुआ. हाई कोर्ट के जज जस्टिस विवेक कुमार सिंह ने फीता काटकर भारत एक्सप्रेस के ब्यूरो ऑफिस का उद्घाटन किया. इस दौरान जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव, जस्टिस गौतम चौधरी, जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र और जस्टिस नीरज तिवारी भी मौजूद रहे.

इस मौके पर जस्टिस गौतम चौधरी ने अपने संबोधन में भारत एक्सप्रेस न्यूज चैनल की टैगलाइन ‘सत्य, साहस और समर्पण’ के ‘समर्पण’ का जिक्र करते हुए कहा, “समर्पण व्यक्ति के प्रति न हो, समर्पण किसी विचारधारा के प्रति न हो, अगर समर्पण कहीं होना है तो इस राष्ट्र के प्रति हो और नारायण के प्रति हो. नारायण के रूप में वे अल्लाह भी हो सकते हैं जीसस क्राइस्ट भी हो सकते हैं. अगर यह समर्पण आपने कर लिया तो जो भी नारायण की शरण में चला गया, वो साहस से भरपूर हो जाता है. उसके पास साहस की कोई कमी ही नहीं रहती है. जिस व्यक्ति में साहस होता है वह सत्य कहीं से भी खोज कर ले आ सकता है.”

जस्टिस गौतम चौधरी ने कहा, “आज तो इतनी ज्यादा जरूरत है कि सत्य यहां से चलता है और यहां से बाहर निकलकर अखबार के दफ्तर पहुंचते-पहुंचते सत्य की असत्यता में कितना परिवर्तन हो जाता है, इसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “जिस सोशल मीडिया की बात आप कर रहे हैं, उस सोशल मीडिया पर भी अर्थ का अनर्थ बनाकर परोसा जा रहा है. यह चिंता का विषय है. मुझे बिल्कुल कोई संकोच नहीं है, जिस इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की बात आप कर रहे हैं, इतनी विषमता है कि अगर एक चैनल पर कोई विषय चल रहा है वह 4-5 चैनल पर चल ही नहीं रहा है.”

जस्टिस चौधरी ने कहा, “पहले यह होता था कि एक अखबार पढ़ लें, तो दो-तीन अखबार पढ़ने पर भी समाचार वही रहते थे, केवल आर्टिकल बदलता था किसका आर्टिकल है और कैसा है. भाषा का स्तर बदलता था लेकिन उसका तत्व और सत्य नहीं बदलता था. लेकिन आज भाषा में तत्व और सत्य दोनों बदल जाता है, यह चिंता का विषय है.”

-भारत एक्सप्रेस



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