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Karnataka Election 2023: कर्नाटक की 50% सीटों पर महिला मतदाताओं का दबदबा, 112 सीटों पर मर्द नहीं हैं डिसाइडिंग फैक्टर

Karnataka Election: महिला वोटरों का दबदबा खासकर ग्रामीण इलाकों में काफी ज्यादा है. इन क्षेत्रों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का वोट काफी ज्यादा पोल होता है.

Karnatka women Voters

कर्नाटक में महिला वोटरों का दबदबा

Karnataka Assembly Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इस बार काफी कुछ महिला मतदाताओं पर निर्भर करने वाला है. पिछले चुनावों के मुकाबले महिलाओं का बतौर वोटर दबदबा काफी बढ़ा है. मतदाताओं की नई सूची को खंगालने पर पता चलता है कि 2018 विधानसभा चुनाव के मुताबके इस बार महिला वोटरों की संख्या काफी बढ़ी है और ये सीधे-सीधे 112 विधानसभा क्षेत्रों को प्रभावित करने वाली हैं. 2018 में जहां महिला मतदाओं का प्रभाव कुल 224 सीटों पर 30% था, वहीं इस बार 50% हो चुका है.

यही वजह है कि कांग्रेस खास तौर पर महिलाओं से जुड़े वादों पर ज्यादा तवज्जो दे रही है. राहुल गांधी के साथ-साथ प्रियंका गांधी लगातार अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर रही हैं. वहीं, बीजेपी भी इस समीकरण की अहमियत को समझती है. लिहाजा, महिला-प्रधान वादों की फेहरिस्त बीजेपी के भी खाते में है.

कर्नाटक की कुल 224 सीटों में 112 विधानसभा सीटों पर महिला वोटरों के दबदबे में इजाफे की कई वजहें हैं. एक तो लिंगानुपात में इस वर्ग की बढ़ोतरी और दूसरा पुरुषों का दूसरे राज्यों या देशों में पलायन. फिलहाल, कर्नाटक में प्रति 1000 पुरुषों मतदाताओं पर महिला वोटरों की संख्या 989 है, जो पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान 973 था. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 10 मई को होने वाले चुनाव में पुरुष मतदातों की कुल संख्या 2.67 करोड़ है, जबकि महिला वोटरों की संख्या 2.64 करोड़ है.

इन जिलों महिला वोटरों का दबदबा

महिला वोटरों का दबदबा खासकर ग्रामीण इलाकों में काफी ज्यादा है. इन क्षेत्रों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का वोट काफी ज्यादा पोल होता है. इलेक्शन डाटा रोल्स से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 112 विधानसभा सीटों पर महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. अगर बात करें इनके प्रभावक्षेत्र वाले जिलों की तो इनमें- बगलकोट, चित्रदुर्ग, बंगलोर ग्रामीण, बेलगाम, बेलारी, बीजापुर, चामराजनगर, चिक्कबल्लापुर, चिकमंगलूर, दक्षिण कन्नड, उत्तर कन्नड, दावनगिरी, धारवाड़, गदग, गुलबर्गा, हासन, कोडागू, कोलार, कोप्पल, मांड्या, मैसूर, रायचूर, रामनगरम, शिमोगा, तुमकुर, उडुपी, यादगिरी, विजयनगर शामिल हैं.

महिला वोटरों की संख्या बढ़ने की वजह

महिला वोटरों की संख्या में बढ़ोतरी का काफी हद तक कारण समाज में चुनावों को लेकर बढ़ती जागरूकता है. हालांकि, लिंगानुपात में बढ़ोतरी को अहम वजह माना जा सकता है. साथ ही साथ इस बात की ओर भी ध्यान देना होगा कि चुनाव आयोग ने कई स्तर पर कैंपेन भी चलाए जिसमें वोटरों की डुप्लिकेसी पर लगाम कसा गया. चुनाव आयोग ने काफी संख्या में उन मतदाताओं को लिस्ट से हटाया, जिनका एक से ज्यादा जगहों पर वोटर आईडी बने थे. ऐसे मतदाताओं में पुरुषों की संख्या ज्यादा था. चूंकि पुरुष कामकाज के लिए दूसरे शहर या प्रदेश में जाते हैं. ऐसे में उन जगहों पर भी कई लोग अपना वोटर आईडी बनवा लेते हैं.

कुल मिलाकर पुरुषों का ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन, लिंगानुपात में महिलाओं की बढ़ती संख्या और वोटर आईडी की डुप्लिकेसी एक बड़ी वजह है, जहां से वोटर लिस्ट में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा दिखाई दे रही है.

चुनावी समीकरण कैसे हो सकते हैं?

कर्नाटक में चुनाव लड़ रही सभी पार्टियां जातियों और संप्रदायों को लेकर चौकस तो हैं ही… साथ ही साथ महिला वोटरों को भी एक अलग नजरिए से देख रही हैं. हालांकि, अभी भी अधिकांश घरों में निर्णय लेने का रिवाज पितृ-सतात्मक व्यवस्था के तहत ही है. लेकिन, अब काफी हद तक महिलाएं खुद को स्वतंत्र और डिसिजन मेकर के तौर पर पेश कर रही हैं. ऐसे में मतदाताओं को रिझाने के लिए पार्टियां कई तरह के वादे कर रही हैं.

मंगलौर में ही कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने महिलाओं के लिए बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कर्नाटक की सार्वजनिक परिवहन की बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की घोषणा कर दी. कांग्रेस ने इसके अलावा गृह लक्ष्मी के तहत घर की महिला प्रमुख को प्रति माह 2000 रुपये देने का भी वादा किया है. जबकि, बीजेपी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के साथ-साथ बीपीएल परिवारों को 3 रसोई गैस सिलेंडर में मुफ्त देने का वादा किया है.

– भारत एक्सप्रेस

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