रजनीश कपूर, वरिष्ठ पत्रकार
भारत एक्सप्रेस
नॉमिनी या बेनिफ़िशियरी, कौन है असली उत्तराधिकारी?
बैंक खातों में हमारी जमा पूँजी, शेयर मार्केट या म्यूचुअल फंड में निवेश, बीमा की राशि या अन्य किसी भी तरह का निवेश हो तो हमारी मृत्यु के बाद उसका नॉमिनी ही उसका उत्तराधिकारी बने यह बात क़ानूनी रूप से सही नहीं है.
ईवीएम-वीवीपैट: मतदाताओं को है जानने का हक़!
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका में मांग की गई है कि भारत के चुनाव आयोग ने लगभग 24 लाख वीवीपैट खरीदने के लिए 5 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं, परंतु केवल 20,000 वीवीपैट की पर्चियों का ही मिलान होता है.
सोशल मीडिया की लत पर नियंत्रण ज़रूरी
Social Media Addiction: आजकल का युवा जिस कदर सोशल मीडिया के साथ घंटों बिताता है उसे लेकर भी मां-बाप में चिंता बढ़ती जाती है. पिछले दिनों आपने सोशल मीडिया पर होली के उपलक्ष्य में ऐसे कई वायरल वीडियो देखे होंगे जहां लड़के लड़कियां खुलेआम ऐसी हरकतें करते दिखाई दिए.
विदेश में पढ़ने जा रहे हैं तो रहें सावधान
कनाडा उच्च शिक्षा के लिए भारतीयों का सबसे पसंदीदा देश है. इतना ही नहीं कनाडा में पढ़ने जाने वालों में पंजाब के छात्रों की संख्या सबसे अधिक है. एक के बाद एक पंजाब के गांवों से युवकों का कनाडा में पलायन एक सपने की तरह होता है.
वॉइस क्लोनिंग: नये साइबर अपराध से रहें सावधान
‘आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस’ के इस नये दौर में साइबर ठगी के नये तरीक़े भी सामने आने लगे हैं। इनमें एक ताज़ा तरीक़ा है ‘वॉइस क्लोनिंग’।
सवाल गुणवत्ता का !
दिल्ली एनसीआर में हुई यह घटनाएं सीधे-सीधे इन शॉपिंग मॉल्स के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाती हैं। गुणवत्ता में हुई लापरवाही ही इस हादसे का कारण बनी।
कहां जा रही इंसानियत?
अंग्रेजों के शासन के समय भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार के खूब क़िस्से आप सब ने पढ़े और सुने होंगे. परंतु आज के भारत में यदि आपको किसी सरकारी व्यक्ति के दुर्व्यवहार की घटना के बारे में पता चलता है तो आपको ग़ुस्सा न आए ऐसा हो नहीं सकता.
प्रतिकूल कब्जे पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
जब भी कभी हम कोई मकान या ज़मीन ख़रीदते हैं तो इस बात को सुनिश्चित कर लेते हैं कि जो भी व्यक्ति हमें अपना मकान या अपनी ज़मीन बेच रहा है वही उसका मालिक है.
नीतीश कुमार: कोई तो कारण होगा… यूं ही कोई बेवफ़ा नहीं होता
बिहार में जो कुछ भी हुआ उसके पीछे के कारणों में जहां एक ओर ‘इंडिया’ गठबंधन में न होने वाले समझौते हैं। वहीं, दूसरी ओर विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन के कुछ नेताओं में किसी न किसी तरह का ‘ख़ौफ़’ भी है।
जानलेवा हो सकते हैं खर्राटे!
यदि कोई व्यक्ति ऑब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया से पीड़ित है और इसको केवल खर्राटों जैसी एक आम समस्या समझ लेता है उसे इस बात पर गौर करना चाहिए कि अनुपचारित ऑब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया के कारण ऐसे कई लक्षण भी सामने आ सकते हैं जो घातक साबित हो सकते हैं।