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Make In India: मेक इन इंडिया से किसानों को बड़ा फायदा- फूड प्रोसेसिंग में बूम , रोजगार और एक्सपोर्ट में उछाल

मेक इन इंडिया योजना ने फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को दी नई रफ्तार। 1608 प्रोजेक्ट्स शुरू, किसानों की आमदनी बढ़ी और रोज़गार में भारी इजाफा.

Make In India: भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र तेज़ी से बढ़ रहा है. इसकी बड़ी वजह सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ योजना को माना जा रहा है. इस योजना ने न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद की है, बल्कि देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ाए हैं.

1,608 नई परियोजनाएं होंगी शुरू

पिछले एक साल में ही इस सेक्टर में 1,608 नई परियोजनाएं शुरू की गई हैं. इनमें 41 मेगा फूड पार्क, 394 कोल्ड चेन प्रोजेक्ट और 75 एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टर शामिल हैं. इन योजनाओं का मकसद है—कृषि अपशिष्ट को कम करना, किसानों की आमदनी बढ़ाना और प्रोसेस्ड फूड का निर्यात बढ़ाना.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) 2015-16 में ₹1.61 लाख करोड़ थी, जो 2022-23 में बढ़कर ₹1.92 लाख करोड़ हो गई. यानी पिछले आठ वर्षों में औसतन 5.35% की सालाना वृद्धि दर्ज हुई है.

इस ग्रोथ का असर रोज़गार पर भी पड़ा है. 2014-15 में इस सेक्टर में 17.73 लाख लोग काम कर रहे थे. 2021-22 तक ये संख्या बढ़कर 20.68 लाख हो गई है.

खाद्य प्रसंस्करण को मिली प्राथमिकता

सरकार का मानना है कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत खाद्य प्रसंस्करण को मिली प्राथमिकता ने इस बदलाव को संभव बनाया है. लोकल प्रोडक्शन और टैलेंट को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं चलाई गई हैं.

इसका सीधा फायदा कृषि क्षेत्र को मिला है. सरकार का कहना है कि भले ही अमेरिका की टैरिफ नीतियों से अनिश्चितता हो, लेकिन भारत का एग्री-फूड निर्यात लगातार बढ़ रहा है. 2014-15 में जहां कुल निर्यात में इसका हिस्सा 13.7% था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 23.4% हो गया.

सरकार का लक्ष्य है—किसानों की आमदनी को दोगुना करना, कृषि अपशिष्ट को घटाना और प्रोसेस्ड फूड को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना.

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-भारत एक्सप्रेस 



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