Holi 2023: होली का त्योहार आने वाला है. जिसको लेकर पूरे देश में धूम देखने को मिल रही है. होली पर नाच गान ना हो ऐसा तो संभव नही है. वैसे भी होली पर बॉलीवुड के मस्ती भरे गानें ना हो मजा नहीं आता है. अमिताभ बच्चन और रेखा पर फिल्माया गया फिल्म ‘सिलसिला’ का ‘रंग बरसे सॉन्ग’ एक आइकॉनिक सॉन्ग है, जिसके बिना शायद ही कोई होली सेलिब्रेशन संभव हो. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ‘रंग बसरे’ गाने की रचना कैसे की गई थी. इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है.
रंग बरसे, भजनों पर आधारित गीत
एक रिपोर्ट के मुताबिक, संगीतकार देबज्योति मिश्रा ने रंग बरसे बनने की कहानी सुनाई. मिश्रा ने कहा था, “टॉलीगंज में, जहां मैं रहता था, वहां एक जगह थी जहां गैर-बंगाली लोग गाने गाते थे और होली मनाते थे. उनके गाने मेरे दिमाग पर असर छोड़ते थे. देबज्योति मिश्रा ने कहा कि वह कॉलेज में थे जब उन्होंने बाद में ‘रंग बरसे भीगे चुनर वाली’ गाना सुना और सिलसिला में फिल्म का फिल्मांकन देखा.
उन्होंने कहा, “मैंने फिल्म को दक्षिण कोलकाता में एक ही स्क्रीन पर देखा और जो मैंने देखा वह मुझे पसंद आया. गाना बहुत हिट हुआ था, लेकिन मुझे पता था कि यह एक भजन पर आधारित है जिसे लोग होली पर गाते थे. बाद में, जब संगीतकार सौविक मित्रा की कर्ज़नर कलोम में इसी तरह की धुन का उपयोग करना चाहते थे, तो उन्होंने कहा कि कॉपीराइट मुद्दे थे.
रंगों की बौछार गाने के बोल हरिवंश राय बच्चन के थे
उन्होंने आगे कहा, “यह तभी पता चला कि यह गीत रियल में 15वीं सदी की कवयित्री मीरा के एक पारंपरिक भजन पर आधारित था. भले ही इसके बोल कवि हरिवंश राय बच्चन के थे और गाने को शिव-हरि ने कंपोज किया था. मूल भजन रंग बरसे ओ मीरा, भवन में रंग बरसे , कुन ए मीरा तेरो मंदिर चिनयो, कुन चिनयो तेरो देवरो, रंग बरसे ओ मीरा भवन में रंग बरसे. फिल्म में स्क्रिप्ट को फिट करने के लिए नंबर बदल दिए गए थे. लेकिन भजन पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोगों के बीच लोकप्रिय रहा. देबज्योति को धुन के उपयोग की अनुमति दी गई और संगीतकार ने कहा, “आज तक, धुन लोकप्रिय है और मैं भी इसका बहुत बड़ा प्रशंसक हूं.”
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