मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर
Andhra Pradesh: धर्म-जाति की राजनीति हमारे देश में बेहद आम बात है. मगर देश की आवाम के लिए इन घोषणाओं का महत्व हमेशा रहा है और शायद आगे भी रहेगा. देश में हिंदू-मुस्लमान के नाम पर जारी सियासत के बीच आंध्र प्रदेश से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. दरअसल, वहां के ईसाई मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रदेश में 3000 मंदिर बनवाने का ऐलान किया है. इस बात की घोषणा डिप्टी सीएम कोट्टू सत्यनारायण ने मुख्यमंत्री रेड्डी के निर्देश पर की है. मुख्यमंत्री रेड्डी ने इस की शुरुआत ‘हिंदू धर्म की रक्षा’ और प्रचार के लिए की है. कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अपनी इस नीति से हिंदू धर्म के लोगों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं.
कमजोर वर्गों के इलाकों में मंदिरों का निर्माण
धर्मादा मंत्री सत्यनारायण की तरफ से मंगलवार को एक प्रेस रिलीज में कहा गया कि इस नीति की शुरूआत हिंदू धर्म की रक्षा और प्रचार करने के लिए की गई है. साथ ही कहा गया कि कमजोर वर्गों के इलाकों में हिंदू मंदिरों का निर्माण शुरू किया गया है, जिस के लिए तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के श्री वाणी ट्रस्ट ने मंदिरों के निर्माण के लिए प्रत्येक को 10 लाख रुपए आवंटित किए गए हैं. 1,330 मंदिरों की सूची में अन्य नए 1,465 मंदिर भी जोड़े गए है और कुछ विधायकों के आग्रह पर 200 और मंदिर बनाए जाएंगे. डिप्टी सीएम ने कहा कि स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से शेष मंदिरों का निर्माण किया जाएगा.
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तेजी से हो रहा निर्माण
उप मुख्यमंत्री कोट्टू सत्यनारायण के अनुसार बंदोबस्ती विभाग (Endowments Department) के अंतर्गत 978 मंदिरों का निर्माण कार्य तेज गती से हो रहा है और प्रत्येक 25 मंदिरों के निर्माण कार्य को देखने के लिए एक असिस्टेंट इंजीनियर को सौंपा गया है. उन्होंने कहा कि मंदिरों को पुनर्जीवित और मंदिरों में अनुष्ठानों के संचालन के लिए आवंटित 270 करोड़ रुपये में से 238 करोड़ रुपये की सीजीएफ धनराशि दी जा चुकी है.
हिंदू वोटरों को लुभाने के लिए आंध्र सरकार हुई मंदिरों पर मेहरबान
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार राज्यभर में मंदिरों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है. माना जा रहा है कि सरकार की यह नीति धर्म विशेष के लोगों को अपनी तरफ प्रभावित करने के लिए हैं, जिससे आगामी वर्ष साल 2024 में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य में सत्तारुढ़ दल ‘वाईएसआरसीपी’ को इसका लाभ मिल सके.