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Aditya L-1: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है. सूर्य का अध्यन करने के लिए भेजे गए देश के पहले अंतरिक्ष आधारित मिशन ‘आदित्य एल1’ 5 महीने के बाद अपनी आखिरी कक्षा में पहुंच चुका है. आज शनिवार को धरती से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर इसकी अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित किया. इससे पहले इसरो ने बताया था कि आदित्य एल-1 शनिवार को शाम चार बजे एल 1 प्वाइंट पर पहुंचेगा. एल 1 प्वाइंट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है और इस स्थान से सूर्य की दूरी भी 15 लाख किलोमीटर ही है. बता दें कि आदित्य एल 1 उपग्रह को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पिछले वर्ष 2 सितंबर को प्रक्षेपित किया गया था.
वहीं इसरो को सूर्य के अध्यन वाले अहम मिशन आदित्य एल 1 में कामयाबी मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बधाई दी है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि यह भारत के लिए एक और शानदार उपलब्धि है.
पीएम मोदी ने आगे लिखा कि- भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की है. भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल 1 अपने गंतव्य पर पहुंच गई है. यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं. हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे.
लैग्रेंज प्वाइंट अंतरिक्ष में वे स्थान हैं जहां वहां भेजी गई वस्तुएं वहीं रुक जाती हैं. लैग्रेंज प्वाइंट्स पर दो बड़े द्रव्यमानों का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव एक छोटी वस्तु को उनके साथ चलने के लिए आवश्यक सेंट्रिपेटल बल के बराबर होता है. अंतरिक्ष में इन बिंदुओं का उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जा सकता है.
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