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By निहारिका गुप्ता
Gyanvapi Survey Case: ज्ञानवापी सर्वे मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के एडिशनल डायरेक्टर ने वाराणसी के जिला जज को सील बंद रिपोर्ट सौंप दी है. सूत्रों के मुताबिक, उनकी ओर से 1000 से ज्यादा पेज की रिपोर्ट जिला अदालत में सौंपी गई. इस मामले पर अब 21 दिसंबर को फैसला आ सकता है.
ज्ञानवापी सर्वे मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि “हमें ये पता चला है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की ओर से अदालत में सील बंद रिपोर्ट जिला जज को सौंपी है. हम मानते हैं कि ऐसा करके ASI ने सुप्रीम कोर्ट के 4 अगस्त के फैसले का उल्लंघन किया है. इसलिए हमने जिला अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया है कि हमें रिपोर्ट की एक प्रति प्रदान की जानी चाहिए, और मीडिया को यह आदेश नहीं दिया जा सकता कि आप इस रिपोर्ट के बारे में बात नहीं कर सकते या इस पर कुछ प्रकाशित नहीं कर सकते.”
दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया, “हम चाहते हैं कि सर्वे की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में पेश हो और बिना हलफनामे के किसी को भी इसे सार्वजनिक करने की इजाजत न दी जाए.” आज सर्वे रिपोर्ट पेश होने से पहले मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया ने कोर्ट में एक एप्लिकेशन दी, इसमें यह मांग की गई कि सर्वे में जुटाई गई चीजों को सार्वजनिक न करें.
सूत्रों के अनुसार, ज्ञानवापी के सर्वे के दौरान ASI को खंडित मूर्तियां, घड़ा, चिह्न जैसे 250 अवशेष मिले थे..इन्हें भी आज अदालत में पेश किया गया है. सर्वे से जुड़ी सबसे बड़ी बात यह है कि GPR रिपोर्ट अमेरिका में तैयार की गई है. ज्ञानवापी में सर्वे हैदराबाद की GPR टीम ने किया था. सर्वे के दौरान खंडित मूर्तियों समेत अनेक अवशेष मिले.
ASI के वैज्ञानिक सर्वेक्षण से अदालत को यह समझने में मदद मिलेगी कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ परिसर के निकट मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं. गौरतलब हो कि ज्ञानवापी के पिछले हिस्से की दीवार पर हिंदू धर्म से जुड़े निशान मिलने का दावा किया गया है. साथ ही मस्जिद में त्रिशूल देखा गया है.
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ज्ञानवापी परिसर में सर्वे करने का आदेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सुप्रीम कोर्ट ने दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को कहा था कि ज्ञानवापी के ‘वजूखाना’ क्षेत्र को छोड़कर मस्जिद परिसर में सर्वे किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा करते हुए दिया था.
— भारत एक्सप्रेस
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