देश

‘मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ, इसकी भूमिका का समाज पर गहरा असर..’, मीडिया संवाद कार्यक्रम में बोले भारत एक्सप्रेस के CMD उपेन्द्र राय

एक्सचेंज4मीडिया समूह के कार्यक्रम ‘समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40अंडर40’ के दूसरे संस्करण में भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के चेयरमैन, एमडी व एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने संबोधन दिया. संबोधन के दौरान उपेन्द्र राय ने कहा कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है. मीडिया में बहुत ताकत होती है. मीडिया के रोल का समाज पर गहरा असर पड़ता है.

उपेन्द्र राय बोले, “मैं जब सहारा मीडिया समूह में था, तो वहां मैनेजमेंट ने खबरों के प्रकाशन के लिए हमें पूरी स्वतंत्रता दी. खबरों के चयन से लेकर प्रकाशन तक, उन्होंने कभी इंटरफेयर नहीं किया. हमें न पीआईबी के डीजी ने फोन किया, न सरकार ने ऐसा कोई फोन किया कि ये खबर रोक दो या ये खबर चला दो.”

‘पूरी तरीके से तथ्यों पर आधारित हो खबर’

मीडिया की सक्रियता और ​जिम्मेदारी पर बोलते हुए उपेन्द्र राय ने कहा, “जब हम लोग किसी घटना का आकलन करते हैं तो चीजें हमें भी वैसी की वैसी ही दिखती हैं. जो बात हम टीवी पर रिपोर्ट कर चुके होते हैं..उसे रिवर्स नहीं किया जा सकता. मीडिया के लिए कोई ऐसा रूल नहीं है..रूल लॉ एंड ऑर्डर के लिए है, रूल अदालतों को चलाने के लिए है, मीडिया को गवर्न करने के लिए अभी तक कोई ऐसा रूल बना नहीं है. लेकिन हम लोगों को आजादी के लिए फ्रीडम के लिए खतरे की बात करनी पड़ती है. जरूर करें, करने में कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन वो पूरी तरीके से तथ्यों पर आधारित हो.”

यह भी पढ़ें: एक्सचेंज फॉर मीडिया समूह के कार्यक्रम में शामिल हुए भारत एक्सप्रेस के चैयरमैन उपेन्द्र राय, जानिए कैसे हुआ स्वागत

‘मणिपुर की घटना पर मेनस्ट्रीम मीडिया चुप रहा’

राय बोले, “जिस तरह से सोशल मीडिया और मैनस्ट्रीम मीडिया है..मुझे बहुत दुख हुआ उस घटना के सामने आने के बाद, जब 4 मई को मणिपुर की दो औरतों को निर्वस्त्र करके घुमाया गया. और वो घटना महीने भर तक दबी रही, मैनस्ट्रीम मीडिया में से बहुत सारे लोगों को इस खबर के बारे में पता था. मुझे नहीं पता था, लेकिन जब चर्चा हुई तो बहुत सारे लोगों को पता था. लेकिन किसी ने उस मानवीय खबर को दिखाने की हिम्मत नहीं की. और न हैसियत दिखाई.”

राय ने कहा, “एक सोशल मीडिया की पोस्ट आती है महीनेभर बाद, मीडिया में उसकी चर्चा होती है. सरकार भी जाग जाती है, पालिर्यामेंट भी डिस्टर्ब हो जाती है. तो इससे क्या पता चलता है..इस खबर का आकलन हम सब लोग करें, मैं भी इस पर प्रकाश डालने की कोशिश कर रहा हूं. इससे ये पता चलता है कि मेनस्ट्रीम मीडिया को जो जिम्मेदारी, जो दायित्व, जो चुनौती उस वक्त उठानी चाहिए थी..मेनस्ट्रीम मीडिया पूरी तरह से फेल रहा वहां पर. और जिस मीडिया से हम उम्मीद नहीं कर रहे थे, जिस हार्ड न्यूज को उठाने की, जो ठेका मेन स्ट्रीम मीडिया ने ले रखा है..वो सोशल मीडिया ने पटल पर रखा और फिर पूरी दुनिया आंदोलित हो गई. और मणिपुर में 35 हजार जवान तैनात किए गए शांति बहाली के लिए. संसद में गृहमंत्री को बयान देना पड़ा. प्रधानमंत्री को भी बयान देना पड़ा. पूरा विपक्ष आंदोलित हो गया. पूरी मीडिया आंदोलित हो गई. ये घटना किसी विदेश की नहीं है, ये घटना इसी भारत भूमि के मणिपुर राज्य की है.”

‘5वीं सदी की किताबों से नए जमाने की चुनौतियां हल नहीं होंगी’

राय ने कहा, “आज जो चुनौती है हमारे सामने..वो 22वीं, 23वीं सदी की है. अगर उत्तर हम 5वीं सदी की किताबों से लेकर आएंगे तो नए जमाने की चुनौतियों से उन उत्तरों का कोई मेल नहीं बैठना. लेकिन अक्सर हम अपनी चुनौतियों का समाधान 5वीं सदी की किताबों से ही लेकर आते हैं. हमारी आदत है, हमें बचपन से ही ये सिखाया गया है​ कि जो वेद में लिखा है वही सही है. जो रामायण में लिखा है वही सही है, जो कुरान में या बाइबल में लिखा है वही सही है. वो सही होगा..और जो सही होगा उसको मानना भी चाहिए, लेकिन कुछ इस जमाने की भी सच्चाई है, जो उन पुरानी किताबों से आज मेल नहीं खाती. मैं तो जैन धर्म के तमाम लोगों से कहता हूं कि महावीर स्वामी आज जन्मे होते तो जूते पहनते, तपती दोपहरी में नंगे पांव नहीं घूमते. और, इस बात को अनेकों विचारकों ने कहा है कि आज जरूरत नहीं है, क्योंकि तब ऐसी पक्की सड़​कें नहीं होती थीं. तब मिट्टी की सड़क होती थीं. साढ़े तीन हजार साल पहले पीच..तारकोल से बनी हुई सड़क नहीं होती थीं. मगर, आज यदि किसी को पैदल घूमना हो तो ऐसी पक्की सड़क पर नंगे पैर चलने से बचना होगा, वरना पैर छिल जाएंगे. मैं आजकल तमाम साधुओं को देखता हूं कि पैरों में मोटे-मोटे कपड़े लपेटे हुए घूम रहे हैं. मैं पूछता हूं कि अब ऐसा क्यों होता है, मैं जब सत्संगों में गया वहां भी मैंने ये सवाल पूछा कि आप क्यों नहीं ऐसा करते..क्यों चप्पल-जूते नहीं पहन सकते. लेकिन हम बंधे हुए हैं साढ़े 3 हजार साल पुरानी परंपरा से. हम उसे परिमार्जित करने के लिए तैयार नहीं हैं. हमारे ऊपर इतने संस्कारों का बोझ है. हम उन संस्कारों से इतने दबे हुए हैं कि बदलाव को स्वीकार नहीं कर पाते.”

— भारत एक्सप्रेस

Bharat Express

Recent Posts

PoK नहीं जाएगी Champions Trophy, जानें Pakistan Cricket Board की हरकत पर किसने जताई आपत्ति

आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने दुबई से इस्लामाबाद भेज दिया है.…

35 minutes ago

CM नीतीश ने PM मोदी को फिर दिया भरोसा, कहा- ‘हमलोग कभी इधर-उधर नहीं जाएंगे’

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एकबार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भरोसा दिलाया…

1 hour ago

Uttar Pradesh: उपचुनाव रैली में बोले सीएम योगी, सपा में गुंडों का विकास होता था, हमने प्रदेश से माफियाओं का अंत कर दिया

सीएम योगी ने रैली में कहा, सपा कार्यकाल में सिर्फ सैफई परिवार और बड़े-बड़े माफिया…

1 hour ago

1 नवंबर को समाप्त हुए पखवाड़े में डिपॉजिट और क्रेडिट वृद्धि दर समान रही: RBI डेटा

1 नवंबर को समाप्त हुए पखवाड़े में क्रेडिट और डिपॉजिट वृद्धि दर दोनों समान रही…

1 hour ago

Maharashtra: गृह मंत्री अमित शाह के हेलीकॉप्टर की हुई चेकिंग, शेयर किया Video

Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र के हिंगोली में चुनाव आयोग के अधिकारियों ने गृह मंत्री…

2 hours ago

कौन हैं अमेरिका के नए स्वास्थ्य मंत्री Robert F. Kennedy Jr. जिनकी नियुक्ति का हो रहा है विरोध?

रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर अमेरिका के एक बेहद प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं. वे…

2 hours ago