बसपा सुप्रीमो मायावती और दिल्ली एलजी वीके सक्सेना
Delhi LG Vinai Saxena: बसपा सुप्रीमो मायावती की भगवान राम पर की गई टिप्पणी को लेकर दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार कर दिया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान मायावती की ओर से एक हलफनामा दिया गया था जिसमें कहा गया था कि “अगर उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति बनवा सकती है, तो मैं अपनी मूर्ति क्यों नहीं बनवा सकती. मायावती पर इसी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गई थी.”
शिकायतकर्ता छत्तर सिंह राछोया ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पर भगवान पर टिप्पणी करने और हिंदू भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था. शिकायकर्ता ने 20 अगस्त, 2019 को मायावती के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने को लेकर गृह सचिव, जिला मजिस्ट्रेट, भारत सरकार और एलजी को सीआरपीसी
(CRPC) की धारा 196 के तहत उनके खिलाफ केस चलाने की मांग की थी.
छत्तर सिंह राछोया ने अपनी शिकायत में क्या कहा ?
शिकायतकर्ता छत्तर सिंह ने अपनी शिकायत में कहा कि मायावती ने जो सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है उसमें कहा गया है कि “अगर उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी धन का उपयोग कर अयोध्या में भगवान श्रीराम की 221 मीटर ऊंची मूर्ति बनवा सकती है, तब वह अपनी मूर्ति क्यों नहीं बनवा सकती. इस बात को छत्तर सिंह ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला माना और आरोप लगाया कि मायावती ने खुद की तुलना भगवान राम से की है.”
इसके अलावा, शिकायतकर्ता ने मायावती के खिलाफ एसएचओ (SHO) नांगलोई और मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट तीस हजारी कोर्ट में भी शिकायत दर्ज की थी. हालांकि, सीआरपीसी की धारा 196 के तहत प्रक्रियात्मक रोक के चलते अदालत ने मामले में संज्ञान लेने में मना कर दिया था. इसलिए उन्होंने मायावती के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए एलजी वीके सक्सेना से मंजूरी देने का अनुरोध किया था.
एलजी वीके सक्सेना ने क्या कहा ?
उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा है कि, “मेरा मानना है कि मायावती के खिलाफ पहली नजर में कोई मामला नहीं बनता. इसलिए सीआरपीसी 1973 की धारा 196 के तहत अभियोजन स्वीकृति का अनुरोध खारिज किया जाता है. वीके सक्सेना ने साफ है कि बीएसपी प्रमुख मायावती के राम पर बयान पर मुकदमा चलाने का पुख्ता आधार नहीं है.