फ्रांस टिम्मरमैन्स
यूरोपीय संघ के जलवायु नीति प्रमुख फ्रांस टिम्मरमैन्स ने शुक्रवार को कहा कि ईयू के प्रस्तावित कार्बन कर का भारत के साथ उसके व्यापार संबंधों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा और वह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन करने वाला कोई कदम नहीं उठाएगा.
यूरोपीय संघ इस्पात, सीमेंट, एल्युमीनियम, लोहा, उर्वरक, बिजली और हाइड्रोजन जैसे उच्च कार्बन उत्पादों पर 25 से 30 प्रतिशत का कार्बन आयात कर लागू करने की योजना बना रहा है. इससे कार्बन आधारित उद्योगों पर अत्यधिक निर्भर विकासशील देशों पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को लेकर चिंताएं जताई जा रही है.
‘कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म’ (सीएबीएम) अक्टूबर में पेश किए जाने की उम्मीद है. सीएबीएम यूरोपीय संघ की व्यापक जलवायु रणनीति का हिस्सा है, जो सदस्य देशों को उनके कार्बन उत्सर्जन को कम करने और हरित प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है.
भारत की अपनी दो दिवसीय राजनयिक यात्रा के पहले दिन टिम्मरमैन्स ने उत्सर्जन में कटौती और स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने से जुड़े घटनाक्रमों पर चर्चा की. उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यदि भारत कार्बन उत्सर्जन को कम करने के मामले में उसकी सभी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करता है, तो उसे इस संबंध में कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है कि सीबीएएम का हमारे व्यापार संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.’’
खबरों के अनुसार, भारत के डब्ल्यूटीओ में यूरोपीय संघ के प्रस्तावित कार्बन कर को चुनौती देने की संभावना है. टिम्मरमैन्स ने कहा कि भारत द्वारा उत्सर्जन व्यापार प्रणाली पर विचार करने का एक कारण यूरोपीय संघ के सीबीएएम से प्रभावित होने से बचना है. यूरोपीय आयोग के कार्यकारी उपाध्यक्ष ने कहा कि सीबीएएम का एकमात्र लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन से बचना है.
कार्बन उत्सर्जन तब होता है, जब सख्त जलवायु नीति के साथ दूसरे देश द्वारा उत्सर्जन में कमी के परिणामस्वरूप एक देश में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि होती है. टिम्मरमैन्स ने कहा कि यूरोपीय संघ ऐसी स्थिति पैदा करने का इरादा नहीं रखता, जिसे संरक्षणवादी माना जाएगा और वह ऐसा कुछ भी नहीं करेगा, जिससे विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन होता हो.
-भाषा