Farmers Protest in Punjab: पंजाब में कई जगहों पर किसानों द्वारा लगाए गए ‘बंद’ के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ है. किसान अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी के लिए केंद्र के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. राज्य के कई स्थानों पर रेल और सड़क यातायात बाधित रहा और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे. बंद के आह्वान के तहत किसानों ने कई जगहों पर ‘धरना’ दिया, जिससे यातायात प्रभावित हुआ.
MSP के लिए कानूनी गारंटी की किसानों की मांग पर केंद्र द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने एक सप्ताह पहले बंद का आह्वान किया था. बंद सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक रहेगा.
यहां दिया गया धरना
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, किसानों ने धारेरी जट्टान टोल प्लाजा पर धरना दिया, जिससे पटियाला-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई. अमृतसर के गोल्डन गेट पर शहर के प्रवेश बिंदु के पास बड़ी संख्या में किसान इकट्ठा होने लगे. बठिंडा के रामपुरा फूल में धरना दिया गया.
Firozpur, Punjab: A local says, "I had to go, but no buses are running, and it has become difficult to travel. The buses should be running…" https://t.co/a7NyrlAQSG pic.twitter.com/qWsDOk1q8I
— IANS (@ians_india) December 30, 2024
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने अमृतसर में संवाददाताओं से कहा कि आपातकालीन और अन्य आवश्यक सेवाओं को संचालित करने की अनुमति दी जाएगी. उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे से यात्रा करने, नौकरी के लिए इंटरव्यू देने या शादी में शामिल होने के लिए आने वाले किसी भी व्यक्ति को अनुमति दी जाएगी. पंधेर ने दावा किया, ‘सभी प्रतिष्ठान बंद हैं. पंजाबियों ने आज अपनी एकता दिखाई है और वे पूरा समर्थन दे रहे हैं. हम सफल बंद देख रहे हैं. ट्रेन सेवाएं भी पूरी तरह से बंद हैं और कोई भी ट्रेन पंजाब में प्रवेश नहीं कर रही है.’
अनाज मंडियां रहीं बंद
फगवाड़ा में किसानों ने एनएच-44 पर शुगरमिल क्रॉसिंग के पास धरना दिया और फगवाड़ा से नकोदर, होशियारपुर और नवांशहर की ओर जाने वाली सड़कों को अवरुद्ध कर दिया. उन्होंने फगवाड़ा-बंगा रोड पर बेहराम टोल प्लाजा पर भी धरना दिया. कई जगहों पर अनाज मंडियां बंद रहीं.
पंधेर ने दावा किया कि उनकी हड़ताल को ट्रांसपोर्टरों, कर्मचारी यूनियनों, व्यापारियों के संगठनों और धार्मिक निकायों से मजबूत समर्थन मिला है. मोहाली जिले में बाजार सुनसान रहे और सड़कों पर यातायात भी कम ही दिखा. कई स्थानों पर सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नदारद रहा, जबकि अधिकांश निजी बस ऑपरेटरों ने बंद के आह्वान का पालन करते हुए अपनी सेवाएं निलंबित कर दीं. रेलवे ने राज्य से गुजरने वाली कई ट्रेनों को रद्द कर दिया.
Punjab: Ahead of today's Punjab Bandh, farmers forced the closure of an SBI branch in Gurdaspur. This led to a heated argument between bank employees and farmers pic.twitter.com/rcPqHxuIEM
— IANS (@ians_india) December 30, 2024
पड़ोसी इलाकों में असर
बंद का असर राज्य के कुछ पड़ोसी इलाकों में भी देखने को मिला, जिसमें अंबाला भी शामिल है. बंद के कारण अंबाला से चंडीगढ़, मोहाली, पटियाला और पंजाब के अन्य नजदीकी शहरों में जाने वाले सैकड़ों दैनिक यात्री परेशान रहे. बसों ने अंबाला से चंडीगढ़ जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग अपनाए, क्योंकि उन्हें पंजाब से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के एक हिस्से को पार करना था. चंडीगढ़ के विभिन्न कोचिंग सेंटरों में पढ़ने वाले कई बाहरी छात्रों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ा.
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दल्लेवाल की भूख हड़ताल
इस बीच 70 वर्षीय किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की भूख हड़ताल सोमवार को 35वें दिन में प्रवेश कर गई. दल्लेवाल ने अब तक चिकित्सा उपचार से इनकार कर दिया है. सैकड़ों किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर पंजाब-हरियाणा सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. दल्लेवाल ने पहले कहा था कि जब तक सरकार किसानों की मांगों पर सहमत नहीं हो जाती, तब तक वह अपना अनशन नहीं तोड़ेंगे.
शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार को दल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया है, साथ ही राज्य को जरूरत पड़ने पर केंद्र से रसद सहायता लेने की छूट दी है. एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं, जब सुरक्षा बलों ने उनके दिल्ली मार्च को रोक दिया था.
101 किसानों के एक जत्थे (समूह) ने 6 से 14 दिसंबर के बीच तीन बार पैदल दिल्ली मार्च करने का प्रयास किया, लेकिन हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया. एमएसपी के अलावा, किसान कर्ज माफी, पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं होने, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की भी मांग कर रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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