बीजेपी में शामिल हुए किरण कुमार रेड्डी (फोटो ट्विटर)
Kiran Kumar Reddy: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. किरण रेड्डी ने कांग्रेस का दामन छोड़ने के बाद प्रदेश में नयी सियासत को जन्म दिया है. बीते कुछ दिन पहले उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर हैरान कर दिया. आज (शुक्रवार) को वह बीजेपी में शामिल हो गए हैं. बीजेपी ने उनका शानदार तरीके से स्वागत किया. किरण रेड्डी के बीजेपी में शामिल होने से कांग्रेस को इसका भारी खामियाजा उठाना पड़ सकता है. वहीं बीजेपी को इसका फायदा हो सकता है.
किरण रेड्डी के बीजेपी में शामिल होने पर इसका प्रदेश की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. वे राज्य के एक वरिष्ठ दिग्गज नेता हैं. वह संयुक्त प्रदेश के आखिरी मुख्यमंत्री रहे. इसके अलावा कई सालों तक राज्य के मंत्री भी रहे हैं. किरण रेड्डी पार्टी के वो नेता रहे हैं, जिस समय प्रदेश के विभाजन करने की बात चल रही थी, उस समय उन्होंने यूपीए सरकार का विरोध किया था.
Former CM of Andhra Pradesh, Shri Kiran Kumar Reddy joins BJP at Party Headquarters in New Delhi. #JoinBJP https://t.co/3XhDcVIHB2
— BJP (@BJP4India) April 7, 2023
2014 से पहले होता था दबदबा
वाई. राजशेखर रेड्डी के शासन के समय 2004-09 में उनके देहांत से पहले राजशेखर रेड्डी और किरण रेड्डी का राज्य में भारी दबदबा होता था. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां 42 में 33 सीटों पर जीत मिली थी. राजशेखर रेड्डी ने प्रदेश में कांग्रेस की दो बार सरकार बनाई. हालांकि उनके देहांत के बाद उनके बेटे का हाथ में जिम्मेदारी दी गई, लेकिन वह ज्यादा समय तक नहीं चली और उन्होंने अपनी वाईएसआर नाम की नयी पार्टी बना ली. राजशेखर रेड्डी ने कांग्रेस की दो बार सरकार बनाई. उन्होंने उस वक्त ऐसी पदयात्रा की थी, जैसे आज राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा की थी. आंध्र प्रदेश के विभाजन से पहले किरण रेड्डी ने इसके विरोध में पदयात्रा निकाली थी.
आंध्र प्रदेश में खत्म हुई कांग्रेस पार्टी!
कांग्रेस की हालत प्रदेश में आज न के बराबर हो चुकी है. आखिरी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस खत्म होती हुई नजर आई. पिछली बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 175 सीटों में से एक पर भी जीत दर्ज नहीं कर पाई थी. लोकसभा चुनाव में तो राज्य के अंदर बिल्कुल ही सफाया हो गया. इसलिए किरण रेड्डी के पास बीजेपी के अलावा अब विकल्प है भी नहीं.
किरण रेड्डी के बीजेपी में जाने की वजह यह भी है कि वो एनटीआर के तेलुगु देशम पार्टी को ज्वाइन नहीं कर सकते हैं, इसके अलावा वह वाईएसआर की पार्टी जगनमोहन रेड्डी के साथ भी नहीं जा पाएंगे. ऐसे में उनके लिए एक दरवाजा खुला था, वो है बीजेपी.