सुप्रीम कोर्ट.
प्रतिबंधित संगठन PLFI उगाहे गए लेवी के रुपये शेल कंपनी शिव आदि शक्ति इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड में निवेश करने से संबंधित मामले में आरोपी फुलेश्वर गोप को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नही मिली है. सुप्रीम कोर्ट फुलेश्वर गोप की ओर से दायर जमानत याचिका पर 5 सप्ताह बाद सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की बेंच मामले में सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि आरोपी युएपीए को चुनौती दे सकता है, अगर उसको लगता है कि अधिकारियों के पास पर्याप्त सबूत नही है या आरोप तय करते वक्त दिमाग का इस्तेमाल नही किया गया है. हालांकि आरोपी के शुरुआत में ही इसके लिए चुनौती देनी होगी.
समयसीमा का पालन निःसंदेह महत्वपूर्ण है: SC
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के नियम 3 और 4 सात दिन की समयसीमा प्रदान करते है, जिसके अदर संबंधित प्राधिकारी को जांच अधिकारी की ओर से एकत्रित सामग्री के आधार पर अपनी सिफारिश करनी होती है और सरकार को अभियोजन की मंजूरी देने के अतिरिक्त सात दिन की अवधि प्रदान की जाती है.
सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकारी की रिपोर्ट पर गौर करते हुए कहा था कि ऐसे मामलों में समयसीमा का पालन निःसंदेह महत्वपूर्ण है. फुलेश्वर गोप शिव आदि शक्ति इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर थे, लेकिन कंपनी में उनका शेयर मात्र पांच प्रतिशत का था. लेवी का कोई पैसा इस कंपनी में नही लगा है. इस कंपनी में प्रतिबंधित संगठन पीएलएफआई के सुप्रीमो दिनेश गोप की हीरा देवी भी डायरेक्टर थी. आरोप है कि इसशेल कंपनी के माध्यम से पीएलएफआई द्वारा अर्जित लेवी का पैसा का विभिन्न कामों में लगाया जाता था. इस मामले में फुलेश्वर गोप तीन साल छह माह से जेल में है.
NIA कर रही है जांच
मामले को लेकर बेड़ो थाना कांड.संख्या 67/2016 दर्ज किया गया था. केंद्र सरकार द्वारा इस मामले को एनआईए जांच के लिए सौपा गया था. एनआईए ने पहले चार्जशीट में फुलेश्वर गोप को गवाह बनाया था. जबकि सप्लीमेंट्री चार्जशीट में आरोपी बना दिया. झारखंड हाई कोर्ट ने फुलेश्वर गोप की ओर से दायर जमानत याचिका को खारिज कर दिया था.
-भारत एक्सप्रेस
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