‘मंदिरों में खोलनी चाहिए लाइब्रेरी’, जानें ISRO चीफ ने ऐसा क्यों कहा ?
Loksabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा समय बचा नहीं है और विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. अभी तक तो इस बात को लेकर सवाल उठ रहा था कि इतने बड़े गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर सहमति कैसे बनेगी. खासकर की कुछ राज्यों की सीटों पर सहमति के लिए काफी रस्साकशी रही है, इसमें दिल्ली, पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल शामिल हैं. इसके अलावा हाल ही में जिस तरह के फैसले लिए गए उनको लेकर भी गठबंधन की पार्टियों के अलग-अलग वर्ग में बेचैनी है. इन फैसलों में टीवी चैनल के 14 एंकरों का बहिष्कार करना शामिल है. बताया जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार इस फैसले सहमत नहीं हैं.
इस गठबंधन में अगर जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार की बात करें तो उन्होंने गठबंधन मोर्चे की शुरुआत में बढ़त बनाई थी, लेकिन अब धीर-धीरे उनकी पकड़ कमजोर पड़ती जा रही है. खबरों के मुताबिक, नीतीश कुमार गठबंधन के 14 एंकरों का बहिष्कार करने के इस फैसले असहमत हैं.
पिछले कुछ समय से देश में सनातन को लेकर बड़ी बहस छिड़ी हुई है, खासकर तब से जब तमिलनाडु के मुख्यमंंत्री एम के स्टालिन के बेटे ने सनातन की तुलना डेंगू, बुखार से कर दी थी और इसे खत्म करने की बात कही थी. इसके बाद से ही कांग्रेस ने खुद को साइड लाइन कर लिया. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के बेटे ने उदयनिधी स्टालिन का समर्थन कर दिया. इसके बाद से ही बीजेपी ने सनातन धर्म को लेकर कांग्रेस पर हमला बोलना शुरू कर दिया. इसके बाद गठबंधन में शामिल हिंदी पट्टी से आने वाले घटक दल भी इसके विरोध में हैं, क्योंकि स्टालिन की पार्टी (DMK) गठबंधन का ही हिस्सा हैं.
वहीं उत्तर प्रदेश प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव भी साफ कर चुके हैं कि वो सनातन के समर्थन में हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग मूर्खता की बातें करते हैं, उन्हें करने दो. लेकिन, हम तो सनातन धर्म को मानने वाले लोग हैं. मैं सनातन धर्म का समर्थक हूं.
बता दें कि अक्टूबर की शुरुआत में होने वाली भोपाल में प्रस्तावित इंडिया गठबंधन की पहली रैली को भी रद्द कर दिया गया. इसके पीछे की वजह बतायी जा रही है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ, DMK के साथ मंच साझा करने में झिझक रहे हैं. वह प्रदेश में काफी सावधानियों के साथ आगे बढ़ रहे हैं.
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अगर कांग्रेस की बात करे तो उसका आम आदमी पार्टी और लेफ्ट के साथ सीधा आमना-सामना है. वैसे अगर केंद्रीय स्तर पर देखा जाए तो कांग्रेस की सबसे करीबी लेफ्ट पार्टी सीपीआई (M) है. लेकिन उसने भी ब्लॉक की 14 सदस्यीय समन्वय (Coordination Committee) और चुनाव रणनीति समिति (Election Strategy Committee) में एक सदस्य को नामित नहीं करने का फैसला किया है. वहीं हाल ही में हैदराबाद में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक से यहा जानकारी सामने आई कि दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस के नेता आप पार्टी के साथ सीट बंटवारों को लेकर सहमत नहीं हो रहे हैं.
वहीं अगर गठबंधन में पीएम के लिए फेस कौन होगा तो इसमें सभी पार्टियों की अलग-अलग विचार हैं. हालांकि साफ तौर पर कोई नहीं बोलता, लेकिन पश्चिम बंगाल में टीएमसी, बिहार में जेडीयू और दिल्ली में आप के कार्यकर्ता अपने-अपने प्रमुख पीएम बनाने का दावा ठोकते रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी का नाम कई बार आगे आ चुका है. हालांकि अभी गठबंधन के नेताओं का कहना है कि मुद्दों पर चुनाव लड़ा जाएगा. पीएम फेस पर बाद में चर्चा कर लेंगे.
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