
देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई

आंचल तिवारी, मुंबई.
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और उनकी पत्नी मुंबई के चर्चगेट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में सम्मानित किए गए. नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में आज अखिल भारतीय औद्योगिक कार्यकर्ता (AAIW) के 161 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया था.
इस विशेष अवसर पर देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. उनके साथ उनकी पत्नी भी इस कार्यक्रम का हिस्सा थीं. समारोह में संगीत के रंगारंग आयोजन के साथ-साथ जस्टिस गवई और उनकी पत्नी को सम्मानित भी किया गया.
इस अवसर पर मुंबई के प्रमुख वकीलों और जजों ने उनकी उपस्थिति को गौरवान्वित किया.
मुंबई दौरे पर जस्टिस बीआर गवई
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई इन दिनों मुंबई के दौरे पर हैं, इसी दौरान उन्होंने कार्यक्रम में हिस्सा लिया. NCPA में आयोजित समारोह में उनका स्वागत करने के लिए वकील समुदाय और जजों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी खास बना दिया. AAIW के 161 साल के सफर को याद करते हुए संगठन ने अपनी उपलब्धियों को रेखांकित किया और सामाजिक-आर्थिक विकास में अपने योगदान पर प्रकाश डाला.
मई माह में ही हुआ था शपथ ग्रहण
जस्टिस बीआर गवई इसी साल मई में देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बने हैं. उनका जन्म 24 नवंबर 1960 को अमरावती में हुआ था. उन्होंने 16 मार्च 1985 को बार काउंसिल में पंजीकरण कराया और 1987 तक पूर्व महाधिवक्ता और हाई कोर्ट जज राजा एस. भोंसले के साथ काम किया.
1987 से 1990 तक उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की और 1990 के बाद मुख्य रूप से नागपुर बेंच में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून के क्षेत्र में काम किया. उन्होंने नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए स्टैंडिंग काउंसल के रूप में सेवाएं दीं. जस्टिस गवई 1992 से 1993 तक बॉम्बे हाई कोर्ट, नागपुर बेंच में असिस्टेंट गवर्नमेंट प्लेडर और अतिरिक्त पब्लिक प्रॉसिक्यूटर रहे. 17 जनवरी 2000 को गवर्नमेंट प्लेडर और पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त हुए. 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज बने और 12 नवंबर 2005 को स्थायी जज नियुक्त हुए.
2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे
24 मई 2019 को वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने और 14 मई 2025 को भारत के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए. पिछले छह वर्षों में उन्होंने लगभग 700 बेंचों में हिस्सा लिया और 300 से अधिक फैसले लिखे, जिनमें संवैधानिक, नागरिक, आपराधिक, और पर्यावरणीय कानून शामिल हैं. वे मंगोलिया, अमेरिका, यूके और केन्या में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में हिस्सा ले चुके हैं और कोलंबिया व हार्वर्ड विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दे चुके हैं. वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे.
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