Bharat Express

भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में मौत की सजा, राष्ट्रपति रशाद अल-अलीमी ने दी मंजूरी, एक महीने में हो सकती है फांसी

यमन के राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद निमिषा प्रिया को अगले एक महीने में फांसी दी जा सकती है. निमिषा को यमनी नागरिक की हत्या के मामले में मौत की सजा मिली है.

यमन में भारतीय नर्स को मिली मौत की सजा

यमन में भारतीय नर्स को मिली मौत की सजा

नई दिल्ली: यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के लिए हालात और गंभीर हो गए हैं. यमन के राष्ट्रपति रशाद अल-अलीमी ने निमिषा प्रिया की मौत की सजा को मंजूरी दे दी है. रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी फांसी अगले एक महीने के भीतर हो सकती है.

क्या है मामला?

निमिषा प्रिया, जो केरल की रहने वाली हैं, पर 2017 में यमन के एक नागरिक की हत्या का आरोप है. उन्होंने कथित तौर पर अपने बिजनेस पार्टनर अल गालाफी की हत्या कर दी थी. निमिषा ने आरोप लगाया था कि अल गालाफी ने उनके दस्तावेज़ चुराए और उनके साथ धोखाधड़ी की.

हत्या की घटना

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, निमिषा ने अल गालाफी को एक विवाद के दौरान कथित तौर पर नशे का इंजेक्शन दिया था, जिसके चलते उसकी मौत हो गई. इसके बाद उन्होंने शव को पानी के एक टैंक में छुपा दिया.

मौत की सजा पर कानूनी प्रक्रिया

2017 में गिरफ्तारी के बाद यमन की अदालत ने निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाई. कई सालों से निमिषा प्रिया और उनके परिवार ने इस फैसले के खिलाफ अपील की, लेकिन अंततः यमन के सुप्रीम कोर्ट और अब राष्ट्रपति रशाद अल-अलीमी ने सजा को बरकरार रखा.

भारत में प्रतिक्रिया

निमिषा प्रिया के परिवार और समर्थकों ने भारत सरकार से अपील की है कि वे इस मामले में यमन सरकार से दखल दें.
– परिवार ने *’ब्लड मनी’* (कानूनी समझौता राशि) देकर उनकी रिहाई का प्रयास किया, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक नतीजा नहीं आया.
– कई मानवाधिकार संगठन और कार्यकर्ता निमिषा की मौत की सजा को रोकने के लिए याचिकाएं दायर कर रहे हैं.
भारतीय सरकार का रुख
भारत सरकार ने पहले भी इस मामले में यमन के अधिकारियों के साथ बातचीत की है. विदेश मंत्रालय ने इस घटनाक्रम पर नजर बनाए रखी है, लेकिन मौजूदा स्थिति में कोई ठोस कदम उठाने की जानकारी नहीं दी गई है.

समर्थन और विरोध

यह मामला न केवल कानूनी, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी चर्चा का विषय बन गया है.
– समर्थकों का कहना है कि निमिषा ने आत्मरक्षा में यह कदम उठाया.
– वहीं, कुछ का मानना है कि न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान किया जाना चाहिए.
फांसी की संभावना
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यमन के कानून के अनुसार राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद मौत की सजा पर अमल एक महीने के भीतर हो सकता है.

अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण

निमिषा प्रिया का मामला मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है. भारत और यमन के बीच इस मामले पर राजनीतिक और कूटनीतिक संवाद की संभावनाओं पर सबकी नजर है. निमिषा के परिवार और भारतीय समुदाय के लिए यह समय बेहद मुश्किल है. आने वाले हफ्ते इस बात को तय करेंगे कि भारत सरकार इस मामले में कोई प्रभावी कदम उठा पाती है या नहीं. यह मामला मानवता, न्याय और कूटनीति के बीच संतुलन का सवाल बन गया है.

-भारत एक्सप्रेस 



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read