भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) एलवी डी2 ने शुक्रवार को यहां से उड़ान भरी तथा ईओएस-07 उपग्रह और दो अन्य उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया. अपनी दूसरी विकास उड़ान में एलवी डी2 ने पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह ईओएस-07 और दो अन्य उपग्रहों- अमेरिका के अंतारिस द्वारा निर्मित जानुस-1 और चेन्नई स्थित ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ के आजादीसैट-2 के साथ उड़ान भरी। यह इसरो का इस साल का पहला मिशन है.
इसरो ने बताया कि एलवी डी2 ने तीनों उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया. साढ़े छह घंटे की उलटी गिनती के बाद 34 मीटर लंबे रॉकेट को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। इसरो को छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहन बाजार में सफलता हासिल करने के लिए इस प्रक्षेपण से काफी उम्मीदें हैं.
छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग को डेवलप करना है मकसद-
SSLV-D2 की लॉन्चिंग के बारे में बताया गया कि SSLV का मकसद छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग को डेवलप करना है. इसके साथ ही पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का इस्तेमाल अब तक लॉन्चिंग में बहुत ज्यादा किया जाता है. SSLV के चलते अब यह बड़े मिशन के लिए फ्री हो सकेगा. SSLV 10 से 500 किलोग्राम के ऑब्जेक्ट को 500 किलोमीटर दूर प्लैनर ऑर्बिट में ले जा सकता है.
#WATCH इसरो ने नया रॉकेट SSLV-D2 सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया।
(सोर्स: ISRO) pic.twitter.com/hN8mtPpaR9
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 10, 2023
SSLV-D2 सैटेलाइट्स की खासियत-
SSLV-D2 के साथ गए पेलोड में जानूस-1 शामिल है, जो एक टेक्नोलॉजी डेमोन्स्ट्रेटर है. जानूस-1 अमरीका का सैटेलाइट है. जिसका वजन 10.2 किलोग्राम है. इसके अलावा आज़ादीसैट-2 एक स्मार्ट सैटेलाइट मिशन है जो लोरा और रेडियो कम्युनिकेशन क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा. इसे पूरे भारत के 75 स्कूलों की 750 गर्ल स्टूडेंट्स ने तैयार किया है.
पिछले साल फेल हो गई थी SSLV की लॉन्चिंग-
पिछले साल एसएसएलवी का लॉन्चिंग फेल गई है. 9 अगस्त 2022 में SSLV लॉन्चिंग के प्रयास किए गए थे. लेकिन लॉन्चिंग फेल हो गई थी. रॉकेट की लॉन्चिंग तो ठीक हुई थी, लेकिन बाद में रफ्तार और फिर रॉकेट के सेपरेशन के दौरान दिक्कत आई. इसके चलते तब SSLV की लॉन्चिंग को रद्द कर दिया गया था. शुक्रवार को इसकी सफल लॉन्चिंग हुई.