पंचायती राज के बाद बदला जम्मू-कश्मीर का भाग्य
Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर में पंंचायती राज संस्थाएं आने के बाद से विकास की गति बढ़ने लगी है. पिछले तीन सालों में जमीनी स्तर पर खूब काम किया गया है. आज जम्मू-कश्मीर के गांव आदर्श गांव बन रहे हैं. इस बड़े बदलाव की शुरुआत साल 2018 में हुई थी, उस समय कुछ राजनीतिक पार्टियों ने इस बदलाव का विरोध किया था. जब जम्मू-कश्मीर में 2018 में पंचायत चुनाव हुए थे, तब तत्कालीन राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने चुनावों को “निरर्थक अभ्यास” करार दिया था.”
उनकी पार्टियों नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने बहिष्कार की घोषणा करते हुए चुनावों से दूरी बना ली. कश्मीर स्थित दोनों पारंपरिक पार्टियों के पंचायत चुनावों में भाग नहीं लेने के बावजूद, 75 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग करके सफलतापूर्वक मतदान किया था.
पीएम मोदी के नेतृत्व में दिलाई गयी थी शपथ
जम्मू-कश्मीर में पंचायत प्रतिनिधियों का चुनाव कराया गया और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले शासन द्वारा वादा किया गया था कि जमीनी लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत किया जाएगा. पीएम मोदी अपनी बात पर कायम रहे और जम्मू -कश्मीर के लोगों से किए गए सभी वादों को पूरा किया. 2018 में हुए बदलाव को जनता ने खुले दिल से स्वीकार किया.
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केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के विकास लिए भेजा पैसा
पंचायतों के गठन के तुरंत बाद, केंद्र ने मार्च 2018 और अगस्त 2019 के बीच चार किश्तों में 800 करोड़ रुपये जारी किए, जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को समाप्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने और अनुच्छेद 370 को खत्म करने के फैसले के बाद, संविधान में एक अस्थायी प्रावधान की घोषणा की गई थी और 1,200 करोड़ रुपये और भेजे गए थे. जम्मू-कश्मीर के लोगों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से योजनाओं पर काम शुरू करने के लिए कुल मिलाकर पंचायतों को 2,000 करोड़ रुपये दिए गए.
पंचायतों को दी गई ये ताकतें
पंचायतों को सामाजिक अंकेक्षण करने, शिकायतों को दूर करने और संसाधन उत्पन्न करने की शक्तियां दी गईं. पंचायत लेखा सहायकों और पंचायत सचिवों की नियुक्ति की गई. पुराने पंचायत घरों का जीर्णोद्धार कर नए बनाए गए. केंद्र ने जम्मू -कश्मीर में जमीनी लोकतंत्र को सशक्त बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
NC ने माना चुनाव का बहिष्कार करना गलती थी
सितंबर 2021 में नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ फारूक अब्दुल्ला ने स्वीकार किया कि पंचायत चुनाव का बहिष्कार करना एक गलती थी और उनकी पार्टी ने इसका खेद जताया. उन्होंने कहा कि भविष्य में जब भी कोई चुनाव होगा उनकी पार्टी उनका बहिष्कार नहीं करेगी.
– भारत एक्सप्रेस
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