Kota Coaching: डिप्रेशन व सुसाइड की ओर धकेल रहे कोटा के कोचिंग सेंटर. एनसीईआरटी (NCERT) की 250 रुपये की किताबों से बने नोट्स के लिए कोचिंग संस्थान 2.5 लाख रुपये क्यों लेते हैं? किसी भी अधिकारी ने जाकर यह जांच क्यों नहीं की कि कोटा के कोचिंग सेंटर छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उनके साथ भेदभाव कर रहे हैं और उन्हें टॉप-ग्रेड और नीचे-ग्रेड बैच में डाल रहे हैं? ये कुछ सवाल 2013-14 में कोटा कोचिंग में छात्र रहे विनय तिवारी द्वारा उठाए जा रहे हैं.
छात्र विनय तिवारी ने क्या बोला
विनय तिवारी 2013-14 में कोटा कोचिंग में छात्र रहे चुके है. तिवारी ने खुद अवसाद का सामना करने के बाद डिजिटल माध्यमों से लगभग 5 लाख छात्रों को मुफ्त में कोचिंग दे रहे हैं. विनय तिवारी ने बताया की, 2013-14 में, मैं कोटा में कोचिंग लेने वालों में से एक था. वहां की स्थिति दयनीय थी, क्योंकि प्रदर्शन पर भेदभाव का शासन था. जो पढ़ाई में अच्छे थे, उन्हें सर्वश्रेष्ठ शिक्षक और सर्वश्रेष्ठ बैच दिया गया, जबकि जो पढ़ाई में खराब थे, उन्हें नीचे के बैचों में प्रवेश दिया गया था. ये वे छात्र थे जो गंभीर वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के बाद कोटा आए थे, उनके माता-पिता ने निजी उधारदाताओं से उच्च ब्याज दरों पर ऋण लिया था.
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छात्र विनय ने खोली कोटा कोचिंग संस्थानों की पोल
तिवारी ने कहा कि सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) और आईआईटी-जेईई का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों पर आधारित होना चाहिए, जो 250 रुपये में उपलब्ध हैं. अब ये कोचिंग संस्थान इतना अधिक शुल्क क्यों लेते हैं. इन पाठ्यक्रमों के लिए ये 2.5 लाख क्यों ले रहे हैं, यह लाख रुपया का सवाल है. उन्होंने कहा, जबकि सिर्फ 20 से 30 हजार छात्र प्रवेश परीक्षा पास करते हैं, जबकि अन्य खुद को असफल मानते हैं.
कोटा में बड़ते आत्महत्या के केस
हाल ही में नीट की तैयारी कर रहा एक छात्र अपने हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका मिला था. 10 दिनों के भीतर आत्महत्या का यह चौथा मामला था. कोटा में 2022 में अब तक 15 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं. इससे पहले 11 दिसंबर को तीन छात्रों ने आत्महत्या की थी. इनमें से दो छात्र बिहार और एक छात्र मध्य प्रदेश का रहने वाला था. पुलिस ने शुरुआती जांच में इतना बड़ा कदम उठाने की वजह तनाव बताया है.
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