एक ऐसा अनोखा देश, जहां आजादी के बाद से कभी नहीं हुआ इलेक्शन, जानें वजह
Manipur UNLF Peace Deal: पूर्वोत्तर भारत के राज्य मणिपुर में सबसे बड़े उग्रवादी संगठन ने आखिरकार हथियार डाल दिए हैं. वहां के यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के सैकड़ों लड़ाकों ने आज अपने हथियारों के साथ सरेंडर किया. यह फैसला केंद्र सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ लिया गया. यूएनएलएफ ने हिंसा छोड़ने पर सहमति व्यक्त की.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह समझौता पूरे पूर्वोत्तर, विशेषकर मणिपुर में शांति के एक नए युग की शुरूआत को बढ़ावा देने वाला है. बता दें कि यूएनएलएफ मणिपुर में इंफाल घाटी स्थित सबसे पुराना सशस्त्र समूह है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विटर पर यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के लड़ाकों और उनके हथियारों की तस्वीरें शेयर कीं.
अमित शाह ने कहा कहा, “यह एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है. पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए मोदी सरकार के अथक प्रयासों ने पूर्ति का एक नया अध्याय जोड़ा है क्योंकि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने आज नई दिल्ली में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. मणिपुर का सबसे पुराना घाटी स्थित सशस्त्र समूह यूएनएलएफ, हिंसा छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए सहमत हो गया है.” शाह ने आगे कहा- मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं.
शाह ने आगे कहा कि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) का भारत सरकार और मणिपुर सरकार के के साथ शांति समझौता छह दशक लंबे सशस्त्र आंदोलन के अंत का प्रतीक है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सर्वसमावेशी विकास के दृष्टिकोण को साकार करने और पूर्वोत्तर भारत में युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.”
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सियासत के जानकारों का कहना है कि हिंसा से जूझ रहे मणिपुर राज्य के लिए एक बड़ी कामयाबी है. 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद यह पहली बार है जब घाटी में किसी प्रतिबंधित संगठन ने सरकार के साथ शांति वार्ता की है. मणिपुर कई महीनों तक हिंसा की आग में जलता रहा. सरकार ने हिंसा रोकने के लिए भरसक कोशिश की. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 13 नवंबर को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 8 “मेइतेई चरमपंथी संगठनों” पर लगे प्रतिबंध को बढ़ा दिया था और उन्हें “गैरकानूनी संगठन” घोषित किया था. हालांकि, अब यूएनएलएफ ने शांति समझौते को मान लिया है.
— भारत एक्सप्रेस
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