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MP News: सीहोर के ग्रामीणों का अनोखा प्रदर्शन! सैंकडों आवेदनों से बनाई पूंछ, जानिए क्यों?

MP News: सीहोर जिले के बिशनखेड़ी गांव के ग्रामीण पानी की समस्या से परेशान होकर 60 किमी पैदल चलकर भोपाल पहुंचे. उन्होंने संभागायुक्त को 100 से ज्यादा आवेदन सौंपे और बोरवेल खुदाई की मांग की.

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MP News: अप्रैल की शुरूआती सप्ताह से ही गर्मी का पारा चढ़ता जा रहा है.देश के कई इलाकों से अलग-अलग तस्वीरें सामने आने लगी हैं. मध्य प्रदेश के भोपाल से ऐसी ही एक तस्वीर सामने आई है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. दरअसल, कुछ लोग कागज़ की लंबी पूंछ बनाकर जानवरों की तरह घुटने के बल बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं. आइये बताते हैं आपको ऐसे प्रदर्शन की पूरी वजह.

दरअसल, पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे सीहोर जिले के बिशनखेड़ी गांव के ग्रामीणों ने जब प्रशासन से बार-बार गुहार लगाई और ज्ञापन पे ज्ञापन दिया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. तब उन्होंने खुद आगे बढ़कर आवाज उठाने का फैसला किया. इसी के तहत बुधवार को बिशनखेड़ी गांव के लोगों ने प्रसाशन को बार-बार दी गई आवेदन के प्रतियों की पूंछ बनाई और गाँव से भोपाल तक की 60 किलोमीटर की यात्रा पैदल और शहर में जानवरों की तरह बैठकर चलते हुए पूरी की. प्रदर्शन करते हुए ग्रामीण संभागायुक्त कार्यालय पहुंचे और अपनी समस्या रखी.

पांच मीटर लंबी आवेदन चेन लेकर पहुंचे ग्रामीण

ग्रामीण अपने साथ पांच मीटर लंबी आवेदन चेन लेकर आए, जिसमें उन सभी बार की शिकायतें दर्ज थीं जब उन्होंने पानी की समस्या को लेकर अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन कोई हल नहीं निकला.

मध्य प्रदेश सरकार 1 अप्रैल से 30 जून तक जल गंगा संरक्षण अभियान चला रही है, लेकिन बिशनखेड़ी गांव के लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, गांववालों ने पंचायती सचिव से लेकर कलेक्टर तक शिकायतें कीं, लेकिन अब तक गांव में एक भी बोरवेल नहीं खुदवाया गया. प्रशासन से उम्मीद छोड़ चुके ग्रामीण बुधवार को भोपाल पहुंचे और संभागायुक्त संजीव सिंह को आवेदन सौंपा.

राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण रुका बोरवेल का काम?

ग्रामीणों का आरोप है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) विभाग ने बोरवेल खुदाई के आदेश तो दिए थे, लेकिन गांव में काम शुरू नहीं हुआ. जब भी खुदाई के लिए मशीन आती है, तो उसे लौटा दिया जाता है. ग्रामीणों का दावा है कि सरपंच के पति और राजनीतिक दबाव के कारण मशीनों को काम नहीं करने दिया जा रहा है.

ग्रामीणों ने यह भी खुलासा किया कि पिछले पांच वर्षों में सीहोर PHE विभाग ने पंचायत को पांच इलेक्ट्रिक पंप दिए थे, लेकिन वे कहां हैं, इसका किसी को पता नहीं. उन्होंने इस मामले की जांच की मांग भी की है.

सरपंच के घर खुदा बोरवेल, लेकिन ग्रामीणों को नहीं मिला पानी

गांववालों ने यह भी आरोप लगाया कि पिछले साल सरपंच के पति ने अपने घर के लिए सरकारी बोरवेल खुदवाया. लेकिन बाद में वहां से पंप हटा दिया, जिससे वह अनुपयोगी हो गया.

करीब 2,000 की आबादी वाले इस गांव में 20 हैंडपंप हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ दो ही चालू हैं. बाकी या तो सूख चुके हैं या खराब पड़े हैं.


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-भारत एक्सप्रेस



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