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क्या देशहित के खिलाफ काम कर रहे हैं NGO? Income Tax विभाग ने 5 संस्थाओं के खिलाफ लगाए सनसनीखेज आरोप, यहां जानें पूरा मामला

साल 2022 में Income Tax Department द्वारा इन 5 NGO के परिसरों की जांच के साथ यह मामला शुरू हुआ था. इस कार्रवाई के बाद इन संगठनों के FCRA लाइसेंस रद्द कर दिए गए थे.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: IANS)

एक सनसनीखेज रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि आयकर विभाग (Income Tax Department) ने 5 गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के खिलाफ देश की विकास परियोजनाओं को रोकने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.

आरोप है कि दो NGO ने देश की ‘आर्थिक और विकास परियोजनाओं को रोकने’ के लिए मुकदमा दायर किया, जिसमें Adani Group और JSW Group की परियोजनाएं भी शामिल हैं. इतना ही नहीं पांच साल की अवधि के दौरान 4 एनजीओ को 75% से अधिक फंडिंग विदेशों से मिली, जो भारत में उनकी गतिविधियों को आकार दे रही हैं. एक एनजीओ का अध्यक्ष दूसरे का शेयरधारक है.

इन NGO में देश का प्रमुख थिंकटैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR), ऑक्सफैम (Oxfam), लीगल इनिशिएटिव फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरमेंट (LIFE) और केयर इंडिया सॉल्यूशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (CISSD) शामिल हैं. इस बात का खुलासा इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है.

5 NGO के FCRA लाइसेंस रद्द किए गए थे

साल 2022 में 7 सितंबर को आयकर विभाग द्वारा इन 5 NGO के परिसरों की जांच के साथ यह मामला शुरू हुआ था. तलाशी के बाद आयकर विभाग इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इन NGO ने कथित तौर पर 2010 के विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के समान प्रावधानों का उल्लंघन किया है.

आरोप है कि इनके वार्षिक रिटर्न और विदेशी मुद्रा बैंक खातों के विवरण ‘बेमेल’ थे और विदेशी मुद्रा में धन का ‘दुरुपयोग’ किया गया था. इस कार्रवाई के बाद इन संगठनों के FCRA लाइसेंस रद्द कर दिए गए थे. आयकर विभाग की इस कार्रवाई को इन संगठनों ने चुनौती दी थी, जिन पर वर्तमान में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में सुनवाई चल रही है.

इस NGO को मिली 100% विदेशी फंडिंग

इंडियन एक्सप्रेस ने इन NGO को आयकर विभाग द्वारा 2023 के अंत तक जारी किए गए ‘सूचना पत्रों’ (Intimation Letters) की समीक्षा की है, ताकि इन के खिलाफ लगाए गए प्रमुख आरोपों का पता लगाया जा सके.

आयकर विभाग के पत्रों में कहा गया है, ‘विदेशी फंडिंग (Foreign Funding) इन ट्रस्टों/संस्थाओं के कामकाज को प्रभावित कर रही है और वे उन उद्देश्यों के विपरीत गतिविधियों में लिप्त हैं, जिनके लिए उन्हें बनाया गया था.’

2015-2021 के दौरान केयर इंडिया (Care India) को कथित तौर पर विदेश से 92% फंडिंग मिली, उसके बाद एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट (95%), LIFE (86%) और ऑक्सफैम (78%) का स्थान रहा. एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट को कथित तौर पर इन छह वर्षों में से तीन वर्षों के लिए विदेश से 100% फंडिंग मिली. इसमें Centre for Policy Research शामिल नहीं था.

IT विभाग ने लगाए ये आरोप

रिपोर्ट के अनुसार, पांचों NGO के प्रमुख व्यक्ति एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. पांच में से चार NGO- ऑक्सफैम, एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट, लाइफ और केयर इंडिया को जारी किए गए पत्रों में एक साझा समापन खंड है, जिसका शीर्षक है ‘जुड़े हुए NGO द्वारा किए गए सम्मिलित प्रयास’.

एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट को लिखे गए एक अलग पत्र में कहा गया है, ‘आंदोलनकारियों का समर्थन करने और विभिन्न परियोजनाओं को रोकने के लिए विभिन्न NGO द्वारा सम्मिलित प्रयास किए जा रहे हैं. ये NGO वांछित परिणाम और आंदोलन के लिए एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं और कानून और व्यवस्था के मुद्दे पैदा कर रहे हैं.’

Adani Group और JSW समूह का विरोध

Oxfam India: 141 पन्नों के आयकर पत्र में कथित उद्देश्यों के विरुद्ध गतिविधियों का आरोप लगाया गया है. उदाहरण के लिए इसमें ऑक्सफैम इंडिया द्वारा अडानी समूह द्वारा खनन रोकने के लिए ऑक्सफैम ऑस्ट्रेलिया के प्रयास का समर्थन करने की ओर इशारा किया गया है.

इसमें ईमेल और हार्ड ड्राइव से प्राप्त ‘साक्ष्य’ का हवाला देते हुए कहा गया है, ‘यह स्पष्ट है कि ऑक्सफैम इंडिया का सीधा हित अडानी पोर्ट्स को डीलिस्ट करने में है. यह ऑस्ट्रेलिया में एक भारतीय व्यापार समूह को निशाना बनाने के लिए धर्मार्थ गतिविधियों के नाम पर ऑक्सफैम इंडिया की एक भयावह योजना है. वे विदेशी संस्थाओं के साथ साजिश कर रहे हैं.’

Centre for Policy Research (CPR): 115 पन्नों के आयकर पत्र में विदेशी दान के संग्रह और प्रबंधन में विसंगतियों का दावा किया गया है. इसमें कहा गया है कि सीपीआर कथित तौर पर जन अभिव्यक्ति सामाजिक विकास संस्था (JASVS) के माध्यम से छत्तीसगढ़ में कोयला खनन के खिलाफ हसदेव आंदोलन में ‘शामिल’ थी और 2019-2023 के बीच JASVS को प्राप्त 83% धन CPR से था.

Environics Trust: 104 पन्नों के आयकर पत्र में इस संगठन पर ओडिशा के ढिंकिया में जेएसडब्ल्यू उत्कल स्टील प्लांट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए धन मुहैया कराने का आरोप लगाया गया है. कहा गया है कि 2020 में 711 स्थानीय निवासियों के खातों में 1,250-1,250 रुपये ट्रांसफर किए गए थे. इसमें दावा किया गया है कि इस ट्रस्ट और लंदन स्थित Survival International ‘अडानी विरोधी आंदोलन को मजबूत करने के लिए लोगों को जोड़कर झारखंड में अडानी के गोड्डा प्लांट के खिलाफ साजिश कर रहे हैं.’

LIFE: 86 पन्नों के आयकर पत्र में कहा गया है कि ‘LIFE Trust का इस्तेमाल (अमेरिका स्थित एनजीओ) Earth Justice द्वारा कोयला खदानों और थर्मल पावर परियोजनाओं को रोकने के लिए एक साधन के रूप में किया जा रहा है.’

इसमें LIFE के संस्थापक Ritwick Dutta और Earth Justice के एक अधिकारी के बीच कथित ई-मेल बातचीत का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि ‘LIFE और इसके सदस्य इसकी अवैध गतिविधियों और उनके परिणामों से अवगत हैं. वे पकड़े जाने से डरते हैं.’ इसमें एक ईमेल का हवाला दिया गया है जिसमें दत्ता ने कथित तौर पर लिखा है, ‘मेरा मानना ​​है कि Earth Justice को भारतीय खुफिया संगठन की जांच के दायरे में लाया जा सकता है.’

आरोपों से इनकार

आयकर विभाग के इन आरोपों को लेकर LIFE के संस्थापक रित्विक दत्ता ने कहा, ‘यह आरोप कि सभी एनजीओ आपस में जुड़े हुए थे, निराधार है. लाइफ को कभी भी Oxfam से कोई फंड नहीं मिला और उसने कभी भी CPR, Oxfam और Care India के साथ सहयोग नहीं किया. केवल एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट के साथ बातचीत हुई थी. LIFE एक स्वैच्छिक संगठन है और अब स्वैच्छिक योगदान के आधार पर अपनी कुछ गतिविधियां चला रहा है.’

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट के एक अधिकारी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. तीन अन्य NGO – Oxfam, CPR और CISSD – ने आयकर विभाग के आरोपों पर टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया.

-भारत एक्सप्रेस



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