स्वामी प्रसाद मौर्य और शिवपाल यादव (फोटो ट्विटर)
Shivpal Yadav on Swami Maurya: समाजवादी पार्टी के नेता और यूपी के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस पर विवादित बयान दिया था. जिसके बाद वह अब मुश्किलों में फंसते हुए नजर आ रहे हैं. बीजेपी समेत तमाम साधु संतों की तरफ से भी उनका विरोध किया जा रहा है. अब उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने उनसे किनारा कर लिया है. स्वामी प्रसाद के रामचरित मानस पर दिए बयान के बाद बीजेपी के तमाम नेताओं ने उन पर निशाना साधा था.
वहीं समाजवादी पार्टी के किनारा करने के बाद वो अब बुरे फंसते हुए नजर आ रहे हैं. उनके खिलाफ लखनऊ में FIR भी दर्ज हो गई है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस पर टिप्पणी करते हुए किताब को बैन करने की बात कही थी.
‘हम भगवान राम और कृष्ण के आदर्शों पर चलने वाले लोग हैं’
सपा के दिग्गज नेता शिवपाल सिंह यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान से किनारा करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, “स्वामी प्रसाद मौर्य का ये अपना व्यक्तिगत बयान है. पार्टी का इससे कोई लेना देना नहीं है. उनका बयान पार्टी का बयान नहीं है. हम लोग भगवान राम और कृष्ण के आदर्शों पर चलने वाले लोग हैं. क्या बीजेपी के लोग भगवान राम के बताए रास्ते पर चलने वाले लोग हैं? भगवान कभी झूठ नहीं बोलते थे बीजेपी के लोग झूठ बोलते हैं, वह भगवान राम को ही बेच रहे हैं.”
शिवपाल ने डिप्टी सीएम केशव मौर्य पर साधा निशाना
शिवपाल यादव ने अपने बयान में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर पलटवार करते हुए कहा कि,”वह बड़बोले हैं. मैनपुरी के उपचुनाव में भी वे यहां आए थे. क्षेत्र की जनता ने उन्हें सबक सिखा दिया. आगे भी उनको बताएंगे कि चुनाव कैसे लड़ा जाता है”. उन्होंने आगे कहा कि,” समाजवादी पार्टी से लोग बड़ी संख्या में जुट रहे हैं भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ माहौल बन गया है. आने वाले चुनाव में प्रदेश से बीजेपी को भगाना है और सपा को लाना है.”
स्वामी प्रसाद मौर्य ने क्या कहा था?
समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदास रचित रामचरित मानस को लेकर कई विवादित बातें कहीं थी. उन्होंने कहा, “कई करोड़ लोग ऐसे हैं जो रामचरित मानस को नहीं पढ़ते हैं. सब बकवास है, जिसे तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. सरकार को संज्ञान में लेते हुए रामचरित मानस से उसके आपत्तिजनक अंश को बाहर कर देना चाहिए या फिर इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए”.
– भारत एक्सप्रेस