Bharat Express

70-90 घंटे प्रति सप्ताह कार्य घंटे बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं: सरकार ने संसद में दी जानकारी

केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत में कार्य घंटे को 70-90 घंटे प्रति सप्ताह तक बढ़ाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. सरकार ने श्रमिकों के अधिकारों और मौजूदा श्रम कानूनों को प्राथमिकता देने की बात कही है.

Working Hours in A Week

केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में स्पष्ट किया कि देश में अधिकतम कार्य घंटे को 70 या 90 घंटे प्रति सप्ताह तक बढ़ाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. सरकार का यह बयान उन चर्चाओं के बाद आया है, जिसमें कुछ कॉरपोरेट नेताओं ने हफ्ते में 70 से 90 घंटे तक काम करने की वकालत की थी.

संसद में सरकार का बयान

श्रम और रोजगार मंत्रालय ने लोकसभा में लिखित जवाब देते हुए बताया कि सरकार का उद्देश्य कामकाज के उचित मानकों को बनाए रखना और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना है. मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में काम के अधिकतम घंटे निर्धारित करने के लिए श्रम संहिता 2020 के तहत मानकों को लागू किया गया है, जो अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के दिशानिर्देशों और भारत के मौजूदा श्रम कानूनों के अनुरूप हैं.

कॉरपोरेट जगत की मांग और बहस

हाल ही में, देश के कुछ प्रमुख उद्योगपतियों और कॉरपोरेट लीडर्स ने सुझाव दिया था कि भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए पेशेवरों और युवाओं को अधिक काम करने की आवश्यकता है. कुछ उद्योग विशेषज्ञों का मानना था कि युवा पेशेवरों को सप्ताह में 70 से 90 घंटे तक काम करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, जिससे उत्पादकता और आर्थिक विकास में तेजी लाई जा सके.

हालांकि, इस सुझाव का कई श्रमिक संगठनों और विशेषज्ञों ने विरोध किया. उनका कहना था कि इतनी लंबी अवधि तक काम करने से कर्मचारियों की उत्पादकता में कमी आ सकती है और उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

मौजूदा श्रम कानून और कार्य घंटे

भारत में वर्तमान में श्रम संहिता 2020 के तहत एक कर्मचारी को एक दिन में अधिकतम 8-9 घंटे और सप्ताह में 48 घंटे तक काम करने की अनुमति है. किसी भी कर्मचारी से अतिरिक्त समय काम लेने के लिए ओवरटाइम के प्रावधान हैं, जिसके तहत अतिरिक्त भुगतान किया जाता है.

क्या कहते हैं श्रम विशेषज्ञ?

श्रम विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक कार्य घंटे से कर्मचारी बर्नआउट (थकान और तनाव) का शिकार हो सकते हैं, जिससे उनकी उत्पादकता और कार्यस्थल की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है. इसके अलावा, यह कार्य-जीवन संतुलन (वर्क-लाइफ बैलेंस) को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.

सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कार्य घंटों को 70-90 घंटे तक बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. मौजूदा श्रम कानूनों के तहत, कर्मचारियों के अधिकारों और कल्याण को प्राथमिकता दी गई है. सरकार ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में किसी भी बड़े बदलाव के लिए सभी हितधारकों, उद्योग प्रतिनिधियों और श्रमिक संगठनों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी 5 फरवरी को जाएंगे Mahakumbh, संगम में स्नान से लेकर साधु-संतों से करेंगे मुलाकात, जानें पूरा शेड्यूल

-भारत एक्सप्रेस 



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read