योगी आदित्यनाथ.
UP News: जनप्रतिनिधियों का फोन ना उठाने वाले यूपी के अधिकारियों को अब मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि तमाम शिकायतों के बाद योगी सरकार ने इसको लेकर कड़ा फैसला किया है. हाल ही सपा विधायक ने भी इस मुद्दे को सदन में उठाया था. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना साफ कहा है कि, अगर अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया तो उन्हें मुश्किल हो सकती है. बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है जब अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों का फोन न उठाने की शिकायत सामने आई हो. पहले भी कई बार शिकायतें आ चुकी है और सीएम योगी आदित्यनाथ अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों का फोन उठाने का निर्देश दे चुके हैं लेकिन, बावजूद इसके अधिकारियों द्वारा लगातार लापरवाही बरती जा रही है.
फिलहाल ताजा मामला सपा विधायक लालजी वर्मा द्वारा उठाया गया है. विधानसभा में उन्होंने अधिकारियों की लापरवाही को लेकर इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने अध्यक्ष सतीश महाना के सामने कहा कि, अगर जनता के बारे में कोई बात करनी हो तो अधिकारी जनप्रतिनिधियों का फोन नहीं उठाते हैं. इसी के साथ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से बात करना आसान है लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों से बात करना बड़ा ही मुश्किल है क्योंकि वो फोन ही नहीं उठाते हैं. इस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यदि अफसरों ने जनप्रतिनिधियों का फोन नहीं उठाया या फोन पर रिप्लाई नहीं दिया तो उन्हें कठिनाई हो सकती है. बता दें कि, पिछले दिनों मुख्यमंत्री कार्यालय से भी इस बात के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे और कहा गया था कि जनप्रतिनिधियों का फोन जरूर उठाएं, लेकिन अधिकारी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. ऐसे में जनप्रतिनिधियों को जनता के सामने शर्मिंदा होने पड़ रहा है.
देखें क्या बोले विधानसभा अध्यक्ष
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने आगे कहा कि, सरकार ने इस मामले में समय-समय पर जनप्रतिनिधियों के प्रोटोकॉल का आदेश भी जारी किया है पर अगर कोई अफसर जनप्रतिनिधियों का फोन नहीं उठा पाते हैं या फोन आते समय कहीं व्यस्त रहते हैं तो वह बाद में कॉल बैक जरूर करें और जनप्रतिनिधियों से बात जरूर करें. इसी के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने आगे कहा कि, यदि इस तरीके के मामले दोबारा संज्ञान में आते हैं तो संबंधित अधिकारी को कठिनाई हो सकती है. अध्यक्ष ने आगे कहा कि, पिछले दिनों भी इस तरीके का विषय अलग-अलग जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाया गया था. केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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