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Vivo मनी लॉन्ड्रिंग मामला: CA राजन मलिक को पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत, स्वास्थ्य और हिरासत अवधि बनी आधार

चीनी स्मार्टफोन निर्माता Vivo के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार सीए राजन मलिक को कोर्ट ने उम्र, बीमारियों और एक साल की हिरासत को देखते हुए रिहाई का आदेश दिया.

Patiala House Court

पटियाला हाउस कोर्ट दिल्ली (सोर्स- फाइल फोटो)

चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार CA राजन मलिक को बड़ी राहत मिल गई है. पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किरण गुप्ता ने राजन मलिक को जमानत देते हुए कहा कि आरोपी 61 साल का है और कई बीमारियों से पीड़ित है. उसका कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. वह एक साल से हिरासत में भी है. जमानत पर रिहा किए जाने से उसके अपराध करने की संभावना नहीं है. इस दशा में उसे जमानत दी जाती है.

कोर्ट ने उसे दो लाख रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतदार देने की शर्त पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. उसमें से एक जमानतदार में उसका करीबी पारिवारिक सदस्य होना चाहिए. वीवो के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने वर्ष 2021 में मामला दर्ज किया था. आरोप लगाया गया है कि चीनी फोन निर्माता ने वर्ष 2014 से वर्ष 2021 के बीच भारत से बाहर पैसे भेजने के लिए फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया है. बाद में ईडी ने इसी आधार पर धन शोधन का मामला दर्ज किया था.

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ईडी ने आरोप लगाया कि वीवो को भारत में कारोबार स्थापित करने और उसका विस्तार करने में भारतीय स्मार्टफोन निर्माता लावा इंटरनेशनल ने मदद की थी. इसके लिए लैबक्वेस्ट इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड नामक एक कार्पोरेट इकाई के माध्यम से वीवो के लिए धन की व्यवस्था की गई थी. सीए मलिक भी लैबक्वेस्ट का एक मालिक है. इस कंपनी का स्थापना धन शोधन करने के लिए किया गया था और उस काम में उसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. कंपनी ने गलत गतिविधियों को अंजाम देते हुए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के नियमों को दर किनार कर दिया था.

-भारत एक्सप्रेस

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