

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) का वाषिर्क कैलेंडर उसके अध्यक्ष के परामर्श से तय करने पर विचार करे और उसमें बार एसोसिएशन सहित सभी हितधारकों के विचारों और हितों को ध्यान में रखे. जस्टिस सचिन दत्ता ने सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया कि आयोग में जून व दिसंबर में आम अदालतों की तरह छुट्टियां देने से लंबित मामलों की संख्या बढ़ेगी.
जस्टिस सचिन दत्ता ने स्पष्ट किया कि एनसीडीआरसी के अध्यक्ष को न्यायिक कैलेंडर निर्धारित करने व आयोग की बैठकों का समय निर्धारित करने की स्वायत्तता होगी. ऐसा करते समय उन्हें जून/दिसंबर में सुनवाई न होने के दिन निर्धारित करने की स्वतंत्रता होगी.
जस्टिस सचिन दत्ता ने यह निर्देश एनसीडीआरसी के अखिल भारतीय बार एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया और याचिका का निपटारा कर दिया. याचिका में आम अदालतों की तरह कैलेंडर में गर्मी और सर्दियों की ुछुट्टियां देने की बात कही गई थी. साथ ही कैलेंडर को अन्य आयोगों, न्यायाधिकरणों और अदालतों के कैलेंडर की तरह बनाया जाए.
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-भारत एक्सप्रेस
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