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दिल्ली पुलिस: झूठी मेडिकल रिपोर्ट मामले में इंस्पेक्टर और डॉक्टर पर FIR दर्ज करने का आदेश

झूठी मेडिकल रिपोर्ट देने वाले दिल्ली पुलिस ने एक इंस्पेक्टर और इंदिरा गांधी अस्पताल के एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है.

Delhi Police
Edited by Akansha

दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने हिरासत में एक आरोपी को प्रताड़ित करने एवं उसे कोई चोट न होने के झूठी मेडिकल रिपोर्ट देने वाले दिल्ली पुलिस ने एक इंस्पेक्टर और इंदिरा गांधी अस्पताल के एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. पटियाला हाउस कोर्ट के एसीजेएम प्रणव जोशी ने संबंधित एसएचओ को मामले की जांच करने एवं अपराध में शामिल पाए जाने वाले अन्य पुलिस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करने का निर्देश दिया है.

5 अप्रैल को अदालत में किया गया था पेश

साथ ही इंदिरा गांधी अस्पताल के एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर अमन गहलोत के खिलाफ मेडिकल प्रेक्टिशनर के रूप में अपने कर्तव्य के निर्वहन में कदाचार के लिए दिल्ली मेडिकल काउंसिल को आईजीआई एयर पोर्ट के थानेदार  के माध्यम से आरोपी की एमएलसी की प्रति के साथ आदेश भेजने का निर्देश दिया है. आरोपी के गिरफ्तारी के बाद 5 अप्रैल को अदालत में पेश किया गया था.

इंस्पेक्टर ने आरोपी के लिए मांगी थी 10 दिन की हिरासत

इंस्पेक्टर ने उसके लिए 10 दिन की हिरासत मांगी थी और कहा था कि आरोपी अपने वोटर आईडी पर काठमांडू गया था, लेकिन उसके दस्तवेज़ों की जांच के दौरान पता चला कि वह अपने भारतीय पासपोर्ट पर यूके गया था. उसके बाद उसने दूसरे भारतीय पासपोर्ट धारक की फर्जी पहचान बनाकर पुर्तगाली पासपोर्ट हासिल कर लिया. बातचीत करने पर आरोपी ने जज को बताया कि पुलिस हिरासत में उसे शारिरिक रूप से प्रताड़ित किया गया है. इसके बाद एसीजेएम ने चैंबर में उसकी निजी तौर पर जांच की और उसके हाथ और पैर पर चोट के निशान पाए.

पुलिस हिरासत में भेजने से किया इनकार

एसीजेएम ने पाया कि शारीरिक यातना के आरोप प्रथम दृष्टया साबित होते हैं. उन्होंने उसे पुलिस हिरासत में भेजने से इनकार कर दिया. इंदिरा गांधी अस्पताल से आरोपी की एमएलसी में उसके शरीर पर कोई चोट नहीं पाई गई थी, लेकिन जेल अधिकारियों की मेडिकल जांच रिपोर्ट में आरोपी के दाहिने पैर के तलवे, दाहिने और बाएं हाथ और कंघे परचोटें थी. इंस्पेक्टर और डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देते हुए अदालत ने कहा कि आरोपी के शरीर पर मिली चोटें सीधे तौर पर उसके साथ हिरासत में हिंसा किए जाने के संकेत देती है.

-भारत एक्सप्रेस 



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