
दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दो साल पहले दिए गए दिशा निर्देशों के बावजूद एक बलात्कार पीड़िता का गर्भपात कराने के लिए एक सप्ताह तक इंतजार करने को देखते हुए एलएनजेपी से कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता की मेडिकल करने एवं रिपोर्ट तैयार करने के एक सप्ताह की देरी क्यों हुई. जबकि पीड़िता को सिडब्ल्यूसी के आदेश पर अस्पताल लाया गया था और अस्पतालों को वर्ष 2023 में ही इसको लेकर निर्देश जारी किए गए थे.
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने दिया ये निर्देश
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने अस्पताल के अधीक्षक और मेडिकल बोर्ड को निर्देश दिया कि नाबालिग पीड़िता का गर्भपात कानून के अनुसार सक्षम डॉक्टरों से कराया जाए. उन्होंने इस तरह के मुद्दों का निपटान के लिए फिर से कई दिशा निर्देश जारी किए. जिससे नाबालिग बलात्कार पीड़िता को जल्द कानूनी सहायता व चिकित्सा सुविधा मिल सके और जल्द से जल्द गर्भपात कराया जा सके.
कोर्ट ने कही ये बात
अदालत ने कहा कि इस तरह के पीड़ित अधिकतर सामाजिक आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि से आते हैं. वे गर्भपात से जुड़े मुद्दे पर कानूनी सहायता या अपनाई जाने वाली प्रक्रिया से अनजान होते है. अदालत ने कहा कि जब 24 सप्ताह से अधिक की गर्भवती नाबालिग पीड़ित सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किया जाता है और उसका मेडिकल जांच या गर्भपात के लिए अस्पताल भेज दिया जाता है तो संबंधित सिडब्ल्यूसी इसके बारे में दिल्ली हाई कोर्ट कानूनी सेवा समिति (डीएचसीएल एससी) को तुरंत सूचित करेगी.
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कोर्ट में याचिका दाखिल करने के लिए संबंधित दस्तावेज होने जरूरी
समिति अपने स्तर पर मुद्दे का आंकलन कर कोर्ट से उचित आदेश लेने के लिए याचिका दाखिल करेगा. उसके लिए बिना पहचान उजागर किए पीड़िता का विवरण, सिडब्ल्यूसी के आदेश, एफआईआर की प्रति, आईओ ने पीड़िता को सीडब्ल्यूसी के समक्ष कब पेश किया तथा कोर्ट में याचिका दाखिल करने के लिए संबंधित दस्तावेज होने चाहिए. कोर्ट ने कहा कि यह निर्देश सभी सिडब्ल्यूसी को प्रसारित किया जाए तथा इसका पूरी ईमानदारी से पालन किया जाए.
-भारत एक्सप्रेस
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