
दिल्ली हाई कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में आरोपी कारोबारी नवल किशोर कपूर की ओर से दौर याचिका को खारिज कर दिया है. कपूर पर जम्मू-कश्मीर में कथित तौर पर आतंकी फंडिंग और अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप है. इसी मामले में यासीन मलिक आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.
मामले की सुनवाई के दौरान यासीन मलिक ने कहा था कि 1994 में हथियार छोड़ने के बाद मैंने महात्मा गांधी के सिंद्धान्तों का पालन किया है और तब से मैं कश्मीर में अहिंसक राजनीति कर रहा हूं. कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक पर युएपीए की धारा के तहत आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने से लेकर उन गतिविधियों के लिए धन जुटाने का आरोप है. मलिक पर आपराधिक साजिश, देशद्रोह समेत हिंसा के कई मामले दर्ज है, जिनमें फांसी या उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आरोपी जहूर अहमद शाह इस टेरर फंडिंग का मुख्य किरदार था और आरोपी नवल किशोर कपूर ने इस काम में सक्रिय भूमिका निभाई.
कई अलगाववादी नेताओं पर आरोप तय
कोर्ट ने यह भी कहा था कि प्रथम दृष्टया साफ है कि बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के लिए एक आपराधिक षड्यंत्र रचा गया. 10 मई 2022 को पटियाला हाउस कोर्ट ने फारुख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांड़े, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट्ट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख और नवल किशोर कपूर सहित अन्य कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे.
आरोप पत्र में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी दायर किया गया था, जिन्हें मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है.
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-भारत एक्सप्रेस
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