
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से रोजगार जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है. जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अहम टिप्पणी की है. अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की. जिसको कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.
अदालत ने एआई के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर केंद्र सरकार द्वारा किए गए नीतिगत निर्णयों पर जानकारी प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का समय दे दिया है.
कोर्ट 14 मई को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मेरी चिंता यह है कि एआई ड्राइवरों के रोजगार को खत्म न कर दे. यह रोजगार का एक बड़ा स्रोत हैं. एआई अपने आप में तेजी से बढ़ती हुई तकनीक है. एक मॉड्यूल कुछ महीनों में अप्रचलित हो जाता है.
सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार को बुनियादी ढांचा प्रदान करना चाहिए. अगर मुझे यहां से 400 किलोमीटर दूर पालमपुर जाना है, तो ऐसी जगहें होनी चाहिए जहां चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर हो.
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से अपने बेटे के बारे में एक हालिया घटना साझा की, जो कैलिफोर्निया में यात्रा कर रहा था और एआई संचालित उबर कार में सवार था, जिसमें कोई ड्राइवर नहीं था. सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि दुनिया के कुल 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत में है.
भूषण ने कहा कि मैं यही चाहता हूं कि सरकार अपनी नीति लागू करें. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह केवल सरकार नहीं है, अन्य संस्थान भी हैं. बता दें कि सीपीआईएल की याचिका में व्यवहारिक (इलेक्ट्रिक वाहन) ईवी को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा नीतियों और पहलों, जैसे कि NEMMP 2020 और नीति आयोग के नीति ढांचे के अपर्याप्त कार्यान्वयन के बारे में सरकार की चिंताओं को उठाई गई है.
ये भी पढ़ें: पेगासस मामले में कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग, कोर्ट ने सुनवाई टाली
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.