
सुप्रीम कोर्ट.

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान एक महिला वकील के व्यवहार से नाखुसी जताई है. जस्टिस एस वी एन भट्टी और जस्टिस पी बी वराले की बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी अदालत के तौर तरीके नहीं सीखना चाहती है.
कोर्ट ने यह टिप्पणी तब कि जब एक महिला वकील ने अदालत से कहा कि मामले की सुनवाई टालने के लिए पहले ही एक पत्र जारी किया गया है. उस दौरान कोर्ट अदालत का आदेश पढ़ रहा था. उसी दौरान युवा वकील जाने लगी. इसपर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी अदालत के तौर-तरीके नहीं सीखना चाहती. मामलों को पढ़ना सिर्फ 30 प्रतिशत है, बाकी 70 प्रतिशत अदालत के तौर तरीके हैं. ऐसे ही एक मामला कुछ महीने पहले तीस हजारी कोर्ट में देखने को मिला था.
सुनवाई के दौरान सिगरेट पीने की हरकत
ऑनलाइन सुनवाई के दौरान एक सख्त अचानक न्यायाधीश के सामने ही सिगरेट पीने लगा. जिससे न्यायाधीश नाराज हो गए और वादी को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा. कोर्ट ने वादी से कहा कि इस हरकत के लिए उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने वादी से जब उससे इस बारे में स्पष्टीकरण पूछा तो कोई जवाब दिए बिना उसने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बंद कर दी.
मामले की सुनवाई के दौरान सुशील कुमार मोबाइल फोन पर बात कर रहे थे, जिसे लेकर अदालत ने आपत्ति जताई और उन्हें ऐसा न करने का निर्देश दिया. क्योंकि इससे अदालत की कार्यवाही पर असर पड़ रहा था. इसके बावजूद जब उन्होंने मोबाइल पर बात करना जारी रखा, तो अदालत ने उनकी आवाज को म्यूट कर दिया. इससे पहले भी गुजरात हाई कोर्ट में इस तरह के मामले देखने को मिल चुका है. एक मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई के दौरान वकील के धूम्रपान का मामला सामने आ चुका है.
हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वकील पर जुर्माना लगाया था. साथ भी वकील के इस आचरण पर निंदा की थी. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यह कोर्ट अधिवक्ता जे. वी अजमेरा के इस आचरण पर गंभीरता से आपत्ति जताती है. साथ ही उन्हें एक सप्ताह में कोर्ट की रजिस्ट्री में जुर्माने की राशि को जमा करने का आदेश दिया था.
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-भारत एक्सप्रेस
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