

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने पिछले हफ्ते अमेरिका के वॉशिंगटन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत की न्यायपालिका देश की विविधता और लोकतांत्रिक चरित्र को बनाए रखने में एक एकीकृत भूमिका निभाती है. जस्टिस सूर्यकांत ने तेलंगाना एसोसिएशन द्वारा रेडमंड, वॉशिंगटन में आयोजित कार्यक्रम में ये बाते कही है.
उन्होंने अपने भाषण में यह भी कहा कि भारतीय न्यायपालिका एक ऐसा स्तंभ है जो संविधान की व्याख्या और उसकी रक्षा करता है. यह भ्रातृत्व, समानता और मानव गरिमा जैसे सिद्धांतों को कायम रखते हुए, यह सुनिश्चित करता है कि कानून का शासन भारतीय लोकतंत्र के केंद्र में बना रहे.
न्याय की व्यापक दृष्टि से राष्ट्र को जोड़ने की प्रक्रिया
उन्होंने यह भी कहा कि अपने तर्कसंगत निर्णयों और नैतिक अधिकारों के माध्यम से न्यायपालिका न केवल कानूनी विवादों को सुलझाती है, बल्कि न्याय की एक ऐसी दृष्टि की पुष्टि भी करती है जो राष्ट्र को एक साथ बांधती है. तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के व्यापारिक और सामुदायिक नेताओं सहित एक सभा को संबोधित करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने प्रवासी समुदाय के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों के समाधान में भारतीय न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला.
आगे उन्होंने कहा कि न्यायिक भूमिका उनके साथ गौरव और भरोसे का कारण बनती है, यह दर्शाती है कि जिन मूल्यों को वे महत्व देते हैं, उन्हें भारत की संवैधानिक व्यवस्था में न केवल सुरक्षित रखा गया है, बल्कि उन्हें लगातार पुनः स्थापित किया जाता है.
उन्होंने कहा कि भारतीय न्यायपालिका द्वारा प्रवासी भारतीयों को प्रिय मूल्यों को आश्वस्त करने, उनकी पुष्टि करने और उनकी रक्षा करने के निरंतर प्रयासों ने इसे गर्व का स्रोत बना दिया है तथा भारत में संवैधानिक व्यवस्था के भीतर मूल्यों की पुष्टि करती हैं.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका ने प्रवासी समुदाय के लिए विशेष चुनौतियों जैसे संपत्ति विवाद, उत्तराधिकार, कस्टडी और वैवाहिक मामलों का.समाधान करने में अहम भूमिका निभाई है.
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-भारत एक्सप्रेस
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